गँवई जिनगी का शब्द चित्र – काठ के रिश्ता

जब कवनों उठत अंगुरी के जबाव बनिके किताब सभका सोझा आवेलीं सन,त ओकरा से सहज में नेह-छोह जुड़िये जाला। मन-बेमन से कुछ लोग सोवागत करेला, ढेर लोग ओहसे दूरी बनावे के कोसिसो करत भेंटाला। भोजपुरी भाषा के किताबन के संगे घटे वाली अइसन घटना के सामान्य घटना मानल जाला। अंगुरी उठावे वाला लोग अफनाये लागेलन। उनुकर उठलकी अंगुरिया ढेर-थोर पीसात बुझाये लागेले। भोजपुरी में गद्य लेखकन के कमी त बा बाकि सुखाड़ नइखे। ‘काठ के रिश्ता ‘ के रिस्तन के  अइसने कुछ सवालन के जबाव लेके सोझा आइल बाटे। भोजपुरी भाषा में कहानी लेखन पहिलहूँ होत रहल बा आ अजुवो हो रहल बा।  बलुक ई कहल जेयादा ठीक रही कि पहिले से बेसी हो रहल बाटे। नवहा आ इलीट लोग अपना माई भाषा के संगे जुड़ के ओकरा समरिध करे में आपन जोगदान दे रहल बा। जवन सराहे जोग बा।

भोजपुरी भाषा खातिर आजु के समय गंवे-गंवे सही,सुखद हो रहल बाटे। कहानी संग्रह ‘काठ के रिश्ता’ में पाँच गो लेखक लोगन के 24 गो कहानियन के संकलित कइल गइल बाटे। एह कहानी संग्रह के भूमिका भोजपुरी के नामचीन साहित्यकार डॉ रमाशंकर श्रीवास्तव जी लिखले बानी। संग्रह के कुल्हि कहानियन का कहानीकार लोगन पर श्रीवास्तव जी बहुते बारीक दीठि डलले बानी, जवन उहाँ के लिखल भूमिका ‘एगो दृष्टि’ के पढ़ते दृष्टि गोचर होखे लागत बा आगु बढि के किताब में संकलित कहानियन के पढ़े खातिर पढ़निहार के मन में ललक जगा रहल बाड़न।   ई संकलन भोजपुरी भाषा में भोजपुरिया माटी के सोन्ह महक लेके आइल बाटे, जवन सोवागत करे जोग बाटे। कुछ लोगन के लागेला कि भोजपुरी के बात भोजपुरी में ना, बलुक दोसर भाषा में करे के चाही। अइसन लोग भोजपुरी भाषा के सम्प्रेषण के तागत पर बरियाई अंगुरी उठावत, अपने जग-हँसाई करावेला। ई अइसन भाषा बिया जवन कवनों आफत-बीपत के लांघत हरमेसा फरत-फूलत रहेले,एकरा ला केकरो से प्रमाण पत्र के जरूरत नइखे।’काठ के रिस्ता’ अपना संगे कई गो चिजुइयन के जबाबो लेके आइल बा, जवन ढेर लोगन कवनो ना कवनो तरे दियरी जरूर देखाई।

‘काठ के रिस्ता’ जहवाँ अपने में जनक देव ‘जनक’ आ मृत्युंजय ‘अश्रुज’ जइसन अनुभवी कहानीकारन के समेटले बाटे, उहवें लवकान्त सिंह ‘लव’,प्रभाष मिश्रा आ दिलीप कुमार पाण्डेय जइसन युवा जोशो कुलाँच मारि रहल बाटे। संकलन के नाँव बरबस सबका के अपना ओरी घींच रहल बाटे। जवना घरी में आजु के समाज रिस्ता-नाता आ नेह-छोह से अपना के अलगावत देखात बाटे, अपनही में लोग केंदित हो रहल बाटे। माई-बाबूजी का संगे घर के पुरनियन से दूर हो रहल बाटे। आजु देश आ समाज में रिस्तन खाति पसरल बेरुखी केकरो से छिपल नइखे, सभे के एकरा ला सोचे के मजबूर कर रहल बाटे। जवना के परिणाम देस में लगातार बढ़ रहल वृद्ध आश्रम सभे के सोझा बा।

मृत्युंजय ‘अश्रुज’ जी जहवाँ अपने कहानियन का माध्यम से समाज के कुरीतियन पर आघात करत देखात बाड़ें, उहवें उ समाज के अइसन चिजुइयन से बहरा निकसे के उचित समाधानो देत ताड़ें। समाज में पसरल कुरीतियन पर दू-टूक कहल आजु के समय में ढेर दुरूह बाटे । बाक़िर कहानीकार बेझिझक ओह पर चोट कर रहल बाड़ें। मृत्युंजय ‘अश्रुज’ जी मझल कहानीकार बाड़न, उनुका कहानियन में पढ़वइया लोगन के बान्ह के राखे जोग सब कुछ बाटे। कतों-कतों त पढ़वइया लोगन के लोर पोंछे खातिर मजबूर कर देत बाड़न।

युवा लेखक,कहानीकार आ रंगमंच के मझल कलाकार लवकान्त सिंह ‘लव’, जे एह कहानी संग्रह के संपादनों कइले बानी,उनुका हर कहानी के कथानक जोरदार बाटे। लवकान्त सिंह अपने कहानियन में कतों-कतों काल्पनिक जरूर भइल बाड़ें,बाकि तबो उनुका कहानी पढ़वइया लोगन के अंत तक बान्ह के राखे में सक्षम बाड़ी सन। वर्तनी आ प्रूफ के असुद्धि जरूर खटकत बाटे, तबों कहानी संग्रह ‘काठ के रिश्ता’ अपने नाम के सार्थक करत देखाता।

जनक देव ‘जनक’ के कहानियन में अनुभव के रंग साफे लउकत बाटे। जिनगी के अलग-अलग रंगत के दुनियादारी के सीसा में सजावल गइल बाटे। कुल्हिए कहानी अपने-अपने तरह के बरियार कहानी बाड़ी स।

भोजपुरी परिवेश से बरियार जुड़ाव अपना में समेटले प्रभाष मिश्रा अपने सगरी कहानियन के गँवई रंगत में सराबोर करत देखात बाड़ें। अइसन जीवंतता उहवें भेंटाले जहवाँ गँवई जिनगी जियला का अनुभव होखे। बाल परदेशी,हरजाना,कनिया एही रंगत के कहानी बाड़ी सन।

युवा कहानीकार दिलीप कुमार पाण्डेय ‘मनियाडर’ से सभका धियान अपना ओर घींच रहल बाड़ें। एक बेर फेर भोजपुरिया कहानीकार लोग आपन सजगता आ जीवंतता से भोजपुरी के भंडार भर रहल बाड़ें। समय आ समाज दूनों पर आपन सजग नजर रखले बाड़ें। एकरा के शुभ संकेत मानल जाई।

प्रूफ का अनदेखी का कारने भइल गलतियन के अनदेखी करत आगु बढ़े के ताक बाटे।कहानी संग्रह पढ़निहार लोग के मन मिजाज पर आपन छाप छोड़ रहल बाटे।नवहा आ अनुभव के ई खिचड़ी बढ़िया पाकल बा आ नीमन सवादो बा। संपादक लवकान्त सिंह जी अपना जिमवारी के संगे न्याय करे के पुरजोर कोसिस कइले बानी। भोजपुरी साहित्य जगत अइसने लोगन के हरमेसा सरहले बा। अजुवो भोजपुरी साहित्य जगत अपने अइसन पहरुवन के दिल खोल के शुभकामना के संगे  सोवागत कर रहल बाटे। उमेद के संगे बिसवासो बाटे कि पढ़वइया लोग एह कहानी संग्रह के अपना नेह-छोह से जरूर नवाजिहे। एही सुखद शुभकामना के संगे………. !

 

पुस्तक – काठ के रिस्ता

विधा – कहानी

संपादक- लवकान्त सिंह ‘लव’

मूल्य- रु0-250.00 मात्र

प्रकाशन वर्ष-2019

प्रकाशन- नव जागरण प्रकाशन

नई दिल्ली-75

 

जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

संपादक

भोजपुरी साहित्य सरिता

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