धन पसु

बहेंंगवा-लफंदर बन घूमत रहन ,
ई त आहे प ढेला ढोवत रहन ,
अब त दिन – दूना रात – चौगना ,
बबुआ बड़हन नेता बनी बढ़न ।
पीठे पोछ फेंकी पिलकईलन ,
सभकर सलाह चुतरे दबईलन ,
सुमति टेरि कुमति के दाता भई ,
आग-पाछ विचारवा भुलईलन ।
नेत-धरम पीठिअउरा कईलन ,
सभके पछाड़ अगउरा भईलन ,
सभके एके लऊरी हंकलन ,
बनलो काम सभ बउरा कईलन ।
गोल बनाई गोलदार बनलन ,
सभके लूटि चौकीदार बनलन ,
सभकर त धन बाईसे पसेरी ,
कुबेर बन अवकातो थहलन।
टटका पोसाक टटका गाड़ी ,
घोटालियन में सबसे आगाड़ी ,
अभी से नौ-दो-ग्यारह भईलन ,
पुलिस खोजे खेताड़ी-खेताड़ी ।
बिन जोतले ही हेंगाई गईलन ,
लगले सूगुमे में धराई गईलन ,
देर होला लेकिन अन्हेर नाहीं ,
नेयाय भईल त जेल गईलन।
  • उमेश कुमार राय
जमुऑंव , भोजपुर (बिहार)।

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