का मरदे का हाल बा

पहिला बार जोगेश्वर भाई के केहूँ मुम्बई बोलाइले रहे ई कह के आवऽ बहुत बढ़िया कम्पनी बा, फ्रेशर्स लइकन खातिर सिखे के बहुत बढिया जगह बाटे।

जोगेश्वर भाई किशोरावस्था से आगे निकल चुकल रहलन अब उनका आपन जिम्मेदारी के आभार हो चुकल रहें जेंगन हम के भी आभार हो चुकल रहे आउर आखिर जिम्मेदारी के आभास होई काहे ना उनका। घर के बड़ बेटा जे ऊ रहले हमरे नियन उहो। माई के आंसू आ बाबूजी के परेशानी आ दर देयाद पर पटिदार के वर्ताव आ रिश्तादार लोगन के ताना बाना से पूरी तरह परिचित हो गइल रहले ऊ।

ऊ टाइम में उनका ना आगे नाथ ना पीछे पगहा रहे जे जवने राहे कहे उहे राह पकड़ लेस। बस ऊ कइसे दू चार पइसा मेहनत और इमानदारी से कमाएं लागस की उनकर घर परिवार सम्भल जाओ आ उनको भौतिक सुख सुविधा मिले लागे ई एगो नशा हो गइल रहे उनका।

जोगेश्वर भाई आपन मेहनत आ ईमानदारी से दू चार रुपया कमाए धमाए लागल रहले। अब घर में सब ठीक ठाक चले लागल रहे।

एकाएक पिछला साल देश में कोरोना महामारी के बढ़़त प्रकोप के कारण पूरा देश लकडाउन हो गइल। जोगेश्वर भाई घबरा गइले अइसन घबराइले कि ऊ काल्ह छोड़ आजे अपना घरे पहुँच जास एतना उनका हरबारी हो गइल रहे।

आखिर ऊ हबरास काहे ना दुनिया खातिर ऊ एगो प्रवासी  गरीब मजदूर रहन आपन माई बाबू खातिर ऊ एगो पूरा दुनिया रहलन।

ऊ समय देश के लाखों करोड़ों मजदूर सड़क पर रोवत डहकत रहे लो। ऊ लाखो करोड़ो के गिनती में हमार जोगेश्वर भाई भी रहलन जे रोवत डहकत आपन घरे पहुँच गइले।

जोगेश्वर भाई से हमार ना कवनो ज्यादा दिन से परिचय रहे ना कवनो रिश्तेदारी ना भवदी बस ऊ हमरा कम्पनी में एगो फ्रेशर्स इलेक्ट्रिशियन रहलन बाकी बिहार के रहल एह से हमरा ज्यादा लगाव आ अपनापन महसूस हो गइल रहे। पहिला बार केहूँ जवारी मिलल रहे जे हमार जात आ धर्म ना पूछ के सीधा पूछले रहे कि “तू बिहार यूपी से बारऽ का।” हम कहनी कि “हाँ।” “तहार टोन से लागल हाँ कि तू अपने तरफ के बारऽ।” जोगेश्वर भाई से पहिला परिचय अइसा ही भइल रहे। ई अनजान प्रदेश में एक दूसरे के देखते ही ई लागे कि हमनी के आपन माटी के महक यहाँ मुम्बई में भी महके लागल बा। एक दूसरे के देखते ही एके शब्द मुंह में निकले “का मरदे का हाल बा।”

सुबह सुबह एगो घटना न्यूज़ में आइल कि मालगाड़ी के नीचे दर्जन भर प्रवासी मजदूर कट के मर गइले त हमार सनाक से जीव हो गइल। हम तुरंत जोगेश्वर भाई के मोबाइल पर फोन लगा देहनी बाकी मोबाइल आउट ऑफ नेटवर्क बतावत रहें। तीन दिन तक लगातार जोगेश्वर भाई के फोन लगावे के कोशिश कइनी। अंदर ही अंदर दुआ करी कि ए खुदा जोगेश्वर भाई के ठीक से उनका गाँव पहुंचवा दिया कवनो अनहोनी मत होखे दिहा। चौथा दिने जोगेश्वर भाई के फोन लाग गइल। जोगेश्वर भाई से ऊ दिन बात भइल त पता चलल कि ऊ गाँव के एगो स्कूल में कोरोंटाइन में बारन। ई खबर सुनला के बाद दिल आ दिमाग शांत भइल रहे।

 

जियाउल हक

छपरा बिहार

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