सावनी गीत

दिनवां धराइदा मोर सजनवां,
सवनवां उदास लागे गोइयां।
जहर बोले सगरो जमनवां,
सवनवां उदास लागे गोइयां।

संघे के सहेली सब करेलीं ठिठोली।
कहिया तोहार होई बोलेलीं किबोली।
नइहर में लागे नाहीं मनवां।
सवनवां उदास लागे गोइयां।

छतिया में हूक उठे घेरे जब बदरिया।
केहू कहां छोड़ेला आपन गुजरिया।
कधले देखइबा बस सपनवां।
सवनवां उदास लागे गोइयां।

अंगराइल देंहिया ना सम्हरे अंचरवा।
देखि देखि बरसे ला बैरी बदरवा।
कहिया लेजइबा मोर गवनवां।
सवनवां उदास लागे गोइयां।

  • राकेश कुमार पांडेय
    गांव-हुरमुजपुर
    सादात,गाजीपुर

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