कजरी

असों बरखा ना भईल बरसात में , दिन चाहे रात में ना ।।
बितल सूखले आषाढ़, घाम होखता प्रगाढ़
अगिया लागि गइल बा कूल्हिए जजात में दिन चाहे रात में ना।।

बरिसल तनिको नाहीं अदरा , भींजल एको दिन ना चदरा
जिनिगी आके फँसल बिया झंझावात में … दिन चाहे रात में ना ।।

बिया धान कऽ सुखाइल , खेत इचिको ना रोपाइल
सभे रहऽता किसानन संगे घात में.. ।।

सुखले बीतत बाटे सावन , लागत बाटे भकसावन
पनिया फेर दिहलस कूल्हि जज़्बात में ….

जिनिगी कइसे अब ढोआई , बेटी कइसे बिअहाई
कर्जा चढ़ल जाता रोजे सौगात में … ।।

संकट में बा खेती बारी, केहू से कहीं का ‘ मुरारी ‘
सपना कहता रहे के औकात में … ।

– कृष्ण मुरारी राय
ग्राम + पोस्ट – टुटुवारी, जिला – बलिया (यू. पी.)

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