गीत

खेतवा जोतात बा फरहरी
बरिसत केनियो ना बदरी
लागsता सुखार परी अबरी
करजा कँपावताटे हड़री !
गरजत तड़पत कबो कबो आवत
चमकत दमकत भागताटे धावत
घामावा उगत बाटे चमवा जरावत
सुबहे में लागsता दुपहरी !
ट्रेक्टर रोटोबेटर खेतवन के जोते
घास पात साफ करे मटिये में गोते
पूख असरेषावा प असरा बा लागल
लगिहें लेवाड़ तबे सगरी !
सगरो सुनाता बाढ़ कइले बा तबाही
शहर पहाड़ प मचल धावाधाही
धनवा रोपेके जहाँ ताव बाटे बिगड़त
ताके आसमान गाँव नगरी !
असरा उमेद प बीतल सँउसे जिनगी
करजे आभाव में मिलल नाहीं बंदगी
ताजवा के मुँहवा में खाजवा समाइल
बाघावा चबावे बइठल कगरी !
कवना दो देसवा में जागि गइल लोगवा
भागि गइलें तानाशाह राज माँगे लोगवा
महँगी बेकारी से मूअत रहे लोगवा
लोगवा भइल रहे लुगरी !
कांटक किसानवा के कतना बिपतिया
कबहीं रुकल नाहीं साँढ़वा अफतिया
दउरत रगरत मारे रोज ढाही
रउँदत माथावा के पगरी !
  • सुरेश कांटक

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