रोवतारी माई

सखी सहेली खड़ा,बाड़ी कतार में,
रोवतारी माई , धके अकवार में।

नईहर छोड़ी जब, ससुरा में जाली,
फेड़ से लागे जस ,टूट गइल डाली।
बरसो के रिश्ता, तोड़ी एक बार में..
रोवतारी माई , धके अकवार में।

सुसुकी-सुसुकी माई,लोर बहावेली,
बेरी,बेरी बेटी जरी,घूमी के आवेली।
भरे ना जियरा ,मिले से एक बार में..
रोवतारी माई , धके अकवार में।

हो तारू बेटी आज, हमसे पराया,
जा तारू जहाँ तू, करिह हो छाया।
खुशीया भरल रहे, घर संसार में..
रोवतारी माई , धके अकवार में।

  • दीपक तिवारी
    श्रीकरपुर,सिवान

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