ए बदरी

सुखि गइलें पोखरा आ जर गइलें टपरी , ए बदरी ।
कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी ।
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।

बनरा के पेट पीठ एक भइलें घानी ।
कहा काहें होत बाटे राम मनमानी ।
गोरुअन के बेटवा क पेटवा ह खपरी , ए बदरी ।
कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी ।
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।

संझवा बिहनवा में कमवा न सपरी ।
होते दुपहरिया भुजाई जालीं मछरी ।
नदिया में अगिया लगाई देलु जबरी , ए बदरी ।
कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी ।
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।

करकेला मनवा मसकी जाला देहियां ।
रोवलो न जाला की मसान भइल अंखिया ।
लोरवा बहाईं ना सहाई आंख कजरी , ए बदरी ।
कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी ।
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।

सियरा हथिनिया आ बघवा के बात बा ।
तोहके बोलावे ला ई बनवा छोहात बा ।
मेघवा बोलावें त अमांय जालु गगरी , ए बदरी ।
कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी ।
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।

बोला काहें भकुआय गइलू ए बदरी ।
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।

✍️ धीरेन्द्र पांचाल

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One Thought to “ए बदरी

  1. धीरेन्द्र पांचाल

    बहुत बहुत आभार भोजपुरी साहित्य सरिता परिवार का

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