बनउवा रूप तहरा

दहके पलास फूल

जिया डहकावे हो।

बनउवा रूप तहरा

हमरा ना भावे हो॥

 

सोरहो सिंगार ओढ़ि

ललखर चुनरिया

गाँव नगर होत आइल

सइयाँ दुअरिया

गोरिया के नखरा

जिया ललचावे हो। बनउवा रूप—–

 

घर अँगनइया में

धप-धप अँजोरिया

टटके सजल बाटे

ललकी सेजरिया

गजरा गुलाबी गोरी

जिया बहकावे हो॥  बनउवा रूप—–

 

रूसियो के  फूलल

नाहके कोहनाइल

पजरा पहुँचि गोरी

नियरा  ना आइल

उपरल हिया में सूल

जिया दहकावे हो॥ बनउवा रूप—–

 

  • जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

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