बरम बाबा

राउर महिमा रउरे जानी

हम ना जानी मरम बाबा

का का गाईं बरम बाबा॥

 

रउरे किरपा सोनरा के घर

पसरल मजगर उजियारी

पूजन अरचन करि करिके

दीहलस कुलवा तारी।

 

जियत जिनगी करम करत

मानि आपन धरम  बाबा।

का का गाईं बरम बाबा॥

 

पहिले दिनवाँ कटत रहे

जइसे तइसे,बाँची पतरा

तहरे दीठि से पूरन भइल

मुंसी से मालिक के जतरा

 

आँखि खुलल सनमान बढ़ल

नइखे कवनों भरम बाबा।

का का गाईं बरम बाबा॥

 

सरधा जेकर बा तहरा में

किरपा ओपर बरसावेला

ओकरे किरती के अँगना

अँजोरिया के छितिरावेला

सब राउर भगती में लागल

सब पर रउरे करम बाबा।

का का गाईं बरम बाबा॥

 

रउरे असथा के ठाँव  में

भगती के शक्ति जामेला

दुख के नदिया में जे डूबल

ओकरा हाथ तू थामेला

 

सिर नेवा के माँगत बानी

रउरे किरपा के दरम बाबा

का का गाईं बरम बाबा॥

 

 

  • जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

 

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