रूस युक्रेन युद्ध

धरती अकास सब जरे लगल
शोला बरसावल बन्द करऽ
रोकऽ बिनास कऽ महायुद्ध
अब आगि लगावल बन्द करऽ।
अंखियन से लोहू टपक रहल
बिलखे मानवता जार-जार
हरियर फुलवारी दहक रहल
धधकत बा मौसम खुशगवार
अबहूं से आल्हर तितलिन कऽ
तूं पांख जरावल ‌ बन्द करऽ ।
बनला में जेके बरिस लगल
हो गइल निमिष में राख-राख
भटकेलन बेबस बदहवास
बेघर हो-होके लाख-लाख
अबहीं कुछ जिनगी बांचल बा
तूं जहर बुझावल बन्द करऽ।
निकली न युद्ध से शांति पाठ
ना हल होई कवनो सवाल
धरती परती अस हो जाई
भटकी ज़िनगी होके जवाल
सगरी संसार झुलसि जाई
बारूद बिछावल बन्द करऽ।
ए खून-खराबा कऽ साखी
बेचैन समय कऽ लगी शाप
करिखा से नांव लिखल जाई
इतिहास कबों ना करी माफ
बिध्वंस अउर दहसत बोके
चेहरा चमकावल बन्द करऽ।
हम कायल सत्य अहिंसा कऽ
हमहीं दुनिया कऽ शान्ति दूत
गांधी क बुद्ध कऽ वारिस हम
जे भारत कऽ सच्चा सपूत
बिनती हमार दुनिया खातिर
तकरार मचावल बन्द करऽ।
  • डॉ. कमलेश राय

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