उतार गइल मुँहवा क पानी

करिया करम बीखि बानी

उतार गइल मुँहवा क पानी॥

 

कतनों नचवला आपन पुतरिया

लाजो न बाचल अपने दुअरिया

नसला इजत खानदानी ।

उतार गइल मुँहवा क पानी॥

 

झुठिया भौकाल कतनों बनवला

बदले में लाते मुक्का पवला

मेटी न टाँका निसानी

उतार गइल मुँहवा क पानी॥

 

साँच के बचवा साँचे जाना

नीक आ नेवर अबो पहिचाना

फेरु न लवटी जवानी

उतार गइल मुँहवा क पानी॥

 

अब जे केहुके आँख देखइबा

ओकरा सोझा खुदे सरमइबा

कइसे के कटबा चानी

उतार गइल मुँहवा क पानी॥

  • जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

31/03/2022

 

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