बलम परधानी लड़ाके

खा गइल बचल – खुचल पानी

बलम परधानी लड़ाके।

एक भइल संझिया बिहानी

बलम परधानी लड़ाके।।

नइहर से अइनी त दुल्हिन कहइनी

भुइयां ना डेग हम दुउरे में धइनी ।

आज सँउसे गँउवे के रानी

बलम परधानी लड़ाके….

कहेला लोग दिन तिरिया के आइल

मरद – मेहरारु बराबर कहाइल।

अब तु ही अगोरिहs चुल्हानी

बलम परधानी लड़ाके…

खा गइल बचल – खुचल पानी

बलम परधानी लड़ाके…

भसुरा आ देवरा बराबर बुझाला

ओटवा बड़ावे ऊ संघे – संघे जाला।

अगराइल पेन्ट – मरदानी

बलम परधानी लड़ाके….

खा गइल बचल – खुचल पानी

बलम परधानी लड़ाके……

सासु – ननद सभे इहे समझावल

अंगने में रहिइs ई सभे बतलावल।

आजु लंघवावे गांव के सिवानी

बलम परधानी लड़ाके…..

खा गइल बचल – खुचल पानी

बलम परधानी लड़ाके……

फंड खातिर सभवा में हुल्लड़ मचायेब

इंदिरा आवास लुटबs खिचड़ी पचायेब।

इज्जत बढ़ी खनदानी बलम परधानी लड़ाके

खा गइल बचल – खुचल पानी बलम परधानी लड़ाके

एक भइल संझिया बिहानी बलम परधानी लड़ाके।

  • डॉ. ज्ञानेश्वर ‘गुंजन’

बेतिया, बिहार।

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