मम्मी रे हमहूं इसकूल जाइब

मम्मी रे पापा से कह के
ड्रेस एगो बनवा दे।
हमहूं रोज इसकूल जाइब
भइया के बतला दे।

जूता मोजा कलम पेनसिल
कापी किताब टाई।
जेंटल मएन बनके जाइब
जइसे जाला भाई।

हरमेस हाथ पकड़ि के चलबि
पीठ प लादि के बसता।
इयाद पारि के रोजे रखिहे
मम्मी ओ में नासता।

मम्मी कान पकड़त बानी
छोड़ देब सैतानी ।
सभ केहु के मान राखबि हम
बोलबि गुर जस बानी।

ना खाइब अब चिप्स कुरकुरा
चाट अउरी समोसा।
ए ममता के मूरत मम्मी
अब त क ले भरोसा।

सभ लइकन से आगे रहबि
होइ खेल भा पढ़ाई।
रोज सबासी के सर जी से
मिली हमरा मिठाई ।

दोस्त बनाइब सभ लइकन के
बाँटि-चोट करबि नसता ।
मान देब हम हर चीजुवे के
दामी रहि भा ससता।

घर परिवार के मान राखबि
सभकर करबि भलाई।
नाम अमर हो जाई मम्मी
भले देह मिट जाई।

विमल कुमार
जमुआँव भोजपुर बिहार

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