बड़हन बानर हिरोइनची

ओह घरी पश्चिमी बिहार में हिरोइनचिअन के आंतक बहुत बेसी हो गइल रहुए, जदि भुला के बल्टी, तसला, रसरी, कुरसी, टेबुल भा सइकिल घर के बहरी भा बिना ओहारे अंगना में छूट जाए त दस पनरह रोपया खातिर मारल मारल फीरत हिरोइनचिअन के लाटरी लगले जइसन खुशी मिलत रहे। कसहूं चोरा के बेच खोच के दस पनरह रोपया में हीरोइन पी के रात भर टुन्न रह$सन।

 

एगो साहूकार आ बाबाजी पड़ोस में रहत रहुअन जा ,साहूकार के पांच गो छौड़ी आ बाबा जी के दू गौ छौड़ा रहे। साहूकार के छोटकी छौड़ी आ बाबाजी के नन्हका बेटा के उमिर के डढ़ाड खतरे के निसान प रहे…

माने कि आमावस भी पूरनमासी लागे

आ जेठ के दुपहरिआ मधुमासी लागे,

एगो अगहन उठान के रात रहे बाबा जी के बड़का बेटा पेसाब करे के उठलन त का देखत बाड़े जे छोटका भाई आंगन के चहरदीवारी प बइठल बा…उ चिचिअइले, अतना ठंडा में चहरदीवारी प का कर तार$ हो बबुआ?

 

बबुआ आंव देखले ना तांव एकदम हांफते बोले लगले जे भइया केहूं बइठल रहल ह चहरदीवारी प जब हम लखेदनी ह त धांय देनी खोरी में कूद के भाग गइल ह, हो ना हो कवनो हिरोइनची ही होखी। बड़का भाई कहले अच्छा चल सूत रह , ढेर रात हो गइल , आ ले  भी जाई त का ले जाई एक दू गो बल्टी भा करवाइन (मीट-मछरी) के आठ दस गो बरतने नू अऊर का अंगना में रखल बा।

 

पांच दस दिन प छोटका बबुआ कबो छत प त कबो चहरदीवारी प बड़कू भैय्या के भेटाइए जास आ ऊहे भुलवना लेखा बात कि बुला हिरोइनचिअन के आहट होत रहे त लखेदनी ह।

 

दूसरका दिन शनिचर के दुपहरिया में सब केहू खिचड़ी चोखा खात रहे त बाबा जी बो अपना संवाग से बोलली जे जानत बानी साहूकार बो बोलत रहली जे उनकर सास जब रात के पानी भा शौच खातिर उठे ली त अक्सर हा हमनी के चहरदीवारी प केहूं बानर लेखा बइठल मिलेला, उ कहत रहली जे कबो कबो चहरदीवारी फान के उ उनकरा छतो प चल जाला, बड़ा फिकिर करत रहली जे इ कइसन बानर ह जवन हतना ठंडा में मध्य रात के चहरदीवारी आ छत फानत बा। बुला उनकर मय छौड़ी छते वाला कोठरी में रहेली सन । तले इ कुल बात बतकही सुनत सुनत बाबा जी के छोटका बेटवा के गोड़ पर तातले खिचड़ी गिर गइल, बड़का देख के मुस्किअइले आ गते से छोटका के कान में बोलले

 

‘बचवां ई हिनोइनची तसला बल्टी चोर ना ह , इ त बड़हन बानर हिरोइनची बा हो…

 

 

  • बिम्मी कुँवर

पुलिस हाउसिंग सोसायटी

चेन्नई

 

 

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