गीत

जानके केहू आहत कईल जान के

तान के तनके तनके नयन बान के

 

केस छितरावत घेरत गगन में घटा

फूल अस कोमल अंगन के अजबे छटा

फूल उपमण्डल चेहरा  लगे चान के

 

नाम ओठन पर आंखिन में सूरत बसल

आस तूरत ना  पूरत जरूरत असल

ओही मूरत के देवी जपी मान के

 

घाव उसुका के  मुसुका के मारत रहे

प्रान ओही के पल पल पुकारत रहे

चैन जारत उजारत जे  असमान के

 

लोक रीति के कवन बात संजोग के

खुस बा सोमेश लेके कठिन रोग के

भूली के जीयत पीयत रहत टान के।

 

  • सोमनाथ ओझा सोमेश

Related posts

Leave a Comment