बिजुरिया हाय पड़ल बदरा का पाले

विधना का लिखना पर जरि जरि बुताले।

बिजुरिया हाय पड़ल बदरा का पाले..

 

बिचरत चरिवातन पर दूर दूर रोले

आवत छावत अन्हार अकड़ि अकड़ि बोले

लखि के कुलबोरन के लोरन नहाले

बिजुरिया हाय पड़ल बदरा का पाले..

 

असमय अरियात रहनि समझ में न आवे

उमरत बेढंग बान घेरी के चलावे

घाव घोर मनवा के तनवा के शाले

बिजुरिया हाय पड़ल बदरा का पाले..

 

करकत दरकत करेज आसमान फाटे

छूटत चिनगी जिनगी रहि रहि दिन काटे

चमके दमके सोमेश लमके नहाले।

बिजुरिया हाय पड़ल बदरा का पाले..

 

  • सोमनाथ ओझा सोमेश

Related posts

Leave a Comment