माथे कS सिङार बाबूजी

बाटें भरि भरि के आपन दुलार बाबूजी ।

तोहीं हमनी के माथे कS सिङार बाबूजी ॥

 

सभके नियमित जगावें

नेह बचवन पर लुटावें

करें नेहिया के बारिस हर बार बाबूजी ॥

तोहीं हमनी के…..

 

दरदिया सिरहीं उठावें

हँसि बिहँसि के दुलरावें

कइने दिन रात आपन निसार बाबूजी ॥

तोहीं हमनी के…..

 

बीपत कइसनो लहरे

उनके समने न ठहरे

सहलें समय क मार , हर बार बाबूजी ॥

तोहीं हमनी के…..

 

 

  • जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

 

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