सुहराई रवै रव
बकोट ता कोई
खड़ा दूर से भी
कचोट ता कोई।
अजादी सबै क
नकोट ता कोई
गुदगुद्दी बराय धइ
लूट ता कोई।
हिया में बईठ के
भकोट ता कोई
निवाला उड़ाई
सरबोट ता कोई।
जगह पाई जरिका
तरोट ता कोई
लगाई के आसन
सघोट ता कोई।
छुआई के अँगुरी
दरेट ता कोई
उचारी के देहियाँ
चमोट ता कोई।
एकै बात हर बार
फेट ता कोई
सिंघासन बदे भाय
लोट ता कोई।
पारी पारा आई
घघोट ता कोई
पलत्थी जमाई के
घोट ता कोई।
पंचईती से दिल्ली
बहोट ता कोई
कमाई हव केकर
समेट ता कोई।
चिकन बात बोली
रहेट ता कोई
देखाई के सपना
डपेट ता कोई।
बखानी हम केतना
सहेट ता कोई
कोई मारे “योगी”
पहेट ता कोई।
सुहराई रवै रव
बकोट ता कोई।।”योगी”
- योगेन्द्र शर्मा “योगी”
भीषमपुर,चकिया,
चन्दौली (उ.प्र.)