एहू साल नहके

चम्पा-चमेली फूल
फूलि-फूलि महके
गइल सखी सावन
एहू साल नहके।

 

गांव आ नगर घूमे
मोरा पांखे बदरी
कइसे उड़ाईं ना –
उड़ेले मोर चुनरी
एक ओर भींजे जाले
एक ओर भरके।गइल0

 

गमकेले धूर जइसे
घीव-गूर मीस के
इमिर-झिमिर देव
ओरिन बरीस के
बूंद-बूंद तन प’
हवन अस लहके।गइल0

 

आंख मोर सिकरी
दुअरिया प’ लटके
कनवां में गीतिया
जनाय बासी टटके
मन मोर मटिही
देवाल अस भसके।गइल0

 

कवना लय चूरिया
कवन लय कंगना
कवना लय गावेला
सावन मोर सपना
कवना लय देंहिया
कदम्ब अस लचके।गइल0

 

  • आनन्द संधिदूत

 

Related posts

Leave a Comment