जे देहलस उ पइलस का

घास क रोटी कोइ बतावै

फिर कउनो राजा खइलस का

हम कुरबानी काहे देहीं

जे देहलस उ पइलस का।

 

महल बनउलस शिला तोड़ जे

अपन नाम लिखइलस का

कउनो कोने खोज बतावा

उ अपनो कुटी बनइलस का।

 

सार गला संसार रचयिता

जाना इहा कमइलस का

मजदूर बोल जग हँसी उड़ावै

कोइ हाँथ कपारे धइलस का।

 

चीर धरा जे अन्न उगावस

आपन पीर सुनइलस का

भात महीनका जे चभकै

उ पूछा स्वेद बहइलस का।

 

चान छुए में बाउर जन

बसुधा क साध पुरइलस का

सूरज भेटै सबै उचक

कोइ आपन शीश झुकइलस का।

 

लिखल अन्हरिया जेह लेखे

दिन ओकर कोई सजइलस का

गिरल कोई गर चलत राह त

ओके कोई उठइलस का।

 

जेकर लाठी भईस ओहि क

अजूओ कोई मिटइलस का

जेरिको अउरी आँख के आँसू

कोइ अपने आँख बहइलस का।

 

एक प्रश्न बा हाँथ जोर

कोइ अबरा गरे लगइलस का

बुरा के “योगी” बुरा कहे क

हिम्मत कोइ देखइलस का।

 

हम कुरबानी काहे देहीं

जे देहलस उ पइलस का।।”योगी”

 

  • योगेन्द्र शर्मा “योगी”

भीषमपुर,चकिया,

चन्दौली (उ.प्र.)

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