डिजिटल जमाना अउर रामधनी बब्बा

खुद से त अब नाही उनकर कइल बा

लड़िकन के बुद्धि पे पत्थर धइल बा

मोदी क अभियान का चल गइल बा

रामधनी बब्बा क फजीहत भइल बा

 

जब से खुलल हउए जनधन क खाता

खाता में रुपिया न आवत न जाता

कुछ गड़बड़ी बा रुकल बाटे पेंशन

बब्बा से ज्यादा हौ आजी के टेंशन

न पइसा मिली त चली काम कइसे

बिना माल मुद्रा क आराम कइसे

टूटल हउए खटिया फटल बा रजाई

इ सुरति सुपारी कहाँ से अब आयी

बब्बा लगवअत हयन खूब चक्कर

घुमावअत बहुत हउए मोटका मनीजर

कहत हौ कि असली कगजवा देखावा

अपने जिए क सबूतों ले आवा

 

जिये देत बा नाही डिजिटल जमाना

बब्बा कहैं केसे आपन फ़साना

 

मलेटरी में रहलेंन बहुत मौज करलेंन

हाथे से उनके बहुत लोग तरलेन

बुढ़ाई में फुर्ती भयल सारा गायब

बेटवा पतोहू दबावत हयन अब

नया बा जमाना नया रंग बाटे

फैशन इ दौर बब्बा के काटे

दिनों रात टीवी घरे में चलत हौ

एही देख बब्बा क जियरा जलत हौ

सिनेमा चलला जुटेला मोहल्ला

अगर मैच बा त टूटेला मोहल्ला

हौ सत्संग भी ,न्यूज भी ,आरती हौ

पर ओनके लिए बस विविध भारती हौ

मिशन स्वच्छता वाला जब से चलल बा

तबअ से ही बब्बा क मुँह लटकल बा

घरे क पखाना लगत हउवे छोटा

छुटत ना हौ खेते क आदत न लोटा

 

जिये देत बा नाही डिजिटल जमाना

बब्बा कहैं केसे आपन फ़साना

 

छोटका लडकवा बहुत हउए चालू

खेती में अबकी बोआ देहलस आलू

डिजिटल क सपना बा आँखि समाइल

बेची फसल त खरीदी मोबाइल

ओकरे लिए रोज लड़की देखाता

फोटो बहुत रोज अावत औ जाता

सब फोटो ओके लगत बा बिपाशा

बब्बा से लेकिन मिलत बा निराशा

बड़कव लइकवा हौ पूरा झमेला

गॉंव के केहू से नाही पटेला

आदत हौ वोकर बहुत हाई -फाई

सुतत समय भी लगावेला टाई

बड़की बहु हौ बहुत कामकाजी

खाली समय में करै चालबाजी

ओहू के डिजिटल क हावा लगत बा

फेसबुक पे दुई दुई अकाउंट चलत बा

 

जिये देत बा नाही डिजिटल जमाना

बब्बा कहैं केसे आपन फ़साना

 

बब्बा क पोती जो छ में पढ़ला

बाऊ व माई हरदम लड़ला

कहला कि हमरो जिनगिया बना द

सुकन्या में पइसा जमा कुछ करा द

आजी भी मन वा क बतिया कहलिन

नया चीज़ बब्बा से पूछेत रहेलीन

इ रिक्शा का होला हमके बतावा

इ बोट में कभो हमके घुमावा

बब्बा बुढ़ाई में कइसे करैं सब

गोबर उठावें कि ट्विटर करैं अब

इहे सोच बब्बा परेशान हउवन

इ नयके जमाना से हैरान हउवन

तबअ बड़का लड़का बजारे से अइलेस

मिलत हौला पेंशन हसत क बतईलेस

पेंशन क सुनतअ उछल गइलेन बब्बा

औ गमछा लपेटत निकल गइलेन बब्बा

 

  • विनोद पांडेय

 

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