तनी बरिस$ ना

तनी बरिस$ ना बदरा कचरि के.
गरमी डललसि बेमार,
हो के बहुते लाचार,
करीं तहसे गोहार हम लचरि के.
तनी बरिस$ ना बदरा कचरि के.

अउसत बा, रात – दिन छूटे पसेना
सूखे ना, केतनो हँउकला से बेना
धरती भइली अंगार,
जरे अंगना दुआर,
जान मारत हमार बा जकड़ि के.
तनी बरिस$ ना बदरा कचरि के.

तनिको सहाता ना तन पर के सारी
दहि जाला बिंदिया का रूपवा सँवारीं
क द$ अइसन बौछार,
भरि जा नदिया ईनार,
लोगवा जा ओह पार सब पँवड़ि के.
तनी बरिस$ ना बदरा कचरि के.

चिरई – चुरूंग का दो कहवाँ लुकइलें
पनिए के खोजत कवन देस गइलें
सूखल अमवा के डार,
नाहीं बगिया बहार,
करे गइया पुकार अब हँकड़ि के.
तनी बरिस$ ना बदरा कचरि के.

बरिसे पर अइब$ त बिजुरी भेंटाई
टारि घूघ चमकत ऊ मुखड़ा देखाई
लिह$ मन भर निहार,
दिह$ निमन उपहार,
होई सोरहो सिंगार सजि सँवरि के.
तनी बरिस$ ना बदरा कचरि के.

  • सुभाष पाण्डेय

 

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