आपन बात

ईश्वर की सृष्टि के साथ मिले, त तनाव दूर होखे के सथहीं रचना में इहे आदमी के मूड के बेहतर करे के रसायन भी बन जाला। ई हमनी के शरीर  के कोशिका  सभन के भी पोषित करेला। । मानसिक स्वास्थ्य खातिर भी  ई एगो   टॉनिक होखेला।  एहसे ऊर्जा, ताजगी, चैतन्यता के साथे  जीवनशक्ति बढ़ जाला। प्रकृति के रचना के संग सुकूं आ शांति भी मिलेला जेह से तनाव आ चिंता भी  दूर  हो जाला आ सोच  सकारात्मक दिशा के साथ कुछ नया करे खातिर प्रेरित करेला।अइसहीं सभ त्योहार के आपन…

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सामाजिक आ राजनीतिक विद्रूपता के खिलाफ के स्वर: गोरख के गीत

गोरख यानी गोरख पाण्डेय।हँ, उहे गोरख पाण्डेय जेकर गीत ‘ समाजवाद बबुआ, धीरे – धीरे आई ‘ आ ‘ नक्सलबाड़ी के तुफनवा जमनवा बदली ‘ गाँव के गली से दिल्ली के गलियारा तक अस्सी के दसक में गूंजत रहे। उहे गोरख पाण्डेय के गीतन पर हम इहाँ बात कइल चाहतानी। गोरख पाण्डेय के जीवन काल में उनुकर रचल गीत संग्रह’ भोजपुरी के नौ गीत ‘ प्रकासित भइल रहे।एकरा अलावा जहाँ – तहाँ उहाँ के भोजपुरी रचना छपल रहे। श्री जीतेन्द्र वर्मा ‘ गोरख पाण्डेय के भोजपुरी गीत ‘ नाम से…

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कलही मेहरिया

दूभर कइलस चलल डहरिया हो रामा कलही मेहरिया ॥   गाँव के रसता अचके भुलाइल जिनगी में उ जहिया से आइल भूल गइल अपनों सहरिया हो रामा कलही मेहरिया ॥   केहुके न छोड़लस एकहु बाकी कोना अंतरा गउंखा झाँकी ननदो पर ढारत कहरिया हो रामा कलही मेहरिया ॥   भाई भतीजन के देखते खीझे देवरो पर ना उ तनिको रीझे तूर दीहलस घर के कमरिया हो रामा कलही मेहरिया ॥   भोरही से उठिके पढ़ेले रमायन सास ससुर के गरिए से गायन जिनगी बनवलस जहरिया हो रामा कलही मेहरिया…

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चइता

चईत महीनवा के सुभ सुदिनवा मंगल बाजेला बधईया हो रामा.. चईत महीनवा.. फुलवा खिलखिल झरले अँचरवा में , सूरुज हँसेले ठठाइके हो रामा.. चईत महीनवा.. कमल खिलाके हँसेले पोखरवा में पुरईन सजेली मोती मालवा होरामा .. चईत महीनवा..! अमवा के डलिया में छोट-छिन टिकोरवा , कोईली बोलेली टहकारवा हो रामा.. चईत महीनवा.. कटहर हुलसेला देखिके बलकवा बिधना हमर भरे गोदिया हो रामा.. चैईत महीनवा सोनवा से लउकेला गेहुँआ के डरिया जड़ल बाटे मोतिया से देहिया होरामा.. चईत महीनवा गीतवा गाई-गाई झूम-झूम नाचेला, आजु हम भईनी लछमिनिया हो रामा.. चईत महीनवा…

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