गीत

हो घेरलस करिया बदरिया, रोपनी के सुतार आ गईल। बहे लागल पुरवा बयरिया, हमनी के बहार आ गईल। जइसे उड़े सड़िया अचरिया, गछियन के लहार आ गईल। रोपे चलस गोरिया संवरिया, पायलन के झंकार आ गईल। झमर झमर बरसे बुनरिया, छातवो में फुहार आ गईल। कड़कड़ाए चमके बिजुरिया, लुकाएके ओहार आ गईल। गावे के गीतवा कजरिया, मनवा में हमार आ गईल। संतोष कुमार, नरकटियागंज, पश्चिमी चंपारण, बिहार।

Read More

गीत

मन सून-सून मनसून बिना। अबले ताले कमल खिलल ना तन लागेला खून बिना। एक तऽ अदिमी अइसे जरना हिया भरल अंगार ऊपर से सूरुज दहकावे हो के माथ सवार भाव बिना सूनी कविताई खत सूना मजमून बिना। नदी मात के छाती सूखल भूखे शिशु छपटाय पेड़ लता के बाँचल ठठरी कब जाने भहराय जोजन भर उड़ि गइली चिरई भहरइली जलबून बिना। बेना लिहले बइठल के ना? हँउकत हाथ पिराय तबहूँ टपटप चुवे पसेना गगरी भरि-भरि जाय बुढ़िया दादी अटपट बोले तन अँइठाइल नून बिना। उमख उड़ावे ईत्तर जइसन नींनि आँखि…

Read More

रहे इहाँ जब छोटकी रेल

देखल जा खूब ठेलम ठेल रहे इहाँ जब छोटकी रेल चढ़े लोग जत्था के जत्था छूटे सगरी देहि के बत्था चेन पुलिग के रहे जमाना रुके ट्रेन तब कहाँ कहाँ ना डब्बा डब्बा लोगवा धावे टिकट कहाँ केहू कटवावे कटवावे उ होई महाने बाकी सब के रामे जाने जँगला से सइकिल लटका के बइठे लोग छते पर जा के अरे बाप रे देखनी लीला चढ़ऽल रहे उ ले के पीला छतवे पर कुछ लोग पटा के चलत रहे केहू अङ्हुआ के छतवे पर के उ चढ़वैइया साइत बारे के पढ़वइया…

Read More

गजल

जादू बा सरकार , रउरी ऑखिन में, डूबल बा संसार , रउरी ऑखिन में, निरमल ताले कमल फुलाइल लागता, लाल- लाल चटकार , रउरी ऑखिन में। अमिय, हलाहल, मदिरा के प्याली हउवे, जिअल, मुअल, मॅझधार , रउरी ऑखिन में। उषा के लाली कि बारल दुइ दियरा, जगमग जोति पथार , रउरी ऑखिन में। सूरज, चंदा जोति जुगावे रउरे से, अइसन बा उजियार , रउरी ऑखिन में। छुरी, कटारी, तोप, मिसाइल, एटम बम, गजबे बा हथियार , रउरी ऑखिन में। बहत रहेला ऑसू अक्सर सुख दु:ख में, काहे पानी खार ,…

Read More

चमकत चनरमा के जोती

आज हम बड़ा खूस बानी।पूछ काहे ???? हमरा ग‌ऊंआ में एगो बियाह बा।मलिकाइन कीहां…क दिन निमन से ख‌ईला भ‌ईल बा।अजुए राति ओही जा जाएम। पहिले से ना जाएम त ओहू जा बड़ा मारामारी बा।अधेसरा,नौलखिया,बटुलिया,सिकनरा..पहिलही से बोरा-झोरि ले के ब‌ईठल रहेले सन।सुने में आईल ह कि मछरी के भोज-भात बा।केतना मूड़ा पछिला बेर बिगाईल रहे।दू दिन मतारी बेटा ख‌ईनी सन।सरधवा त ख‌ईबे ना करेले।लागेले चिघरे-आई हो दादा!!कांट गड़ता। काल दोकाने कार करे ना जाएम।तनिको कुछू गबडा़एला बड़ा मारेलन सेठ‌ऊ।बाकिर उपाए का बा।हमार बाबू त कहियने ओरा ग‌ईले।दारू-ताड़ी पीयत पीयत टीबी उपटा…

Read More

बनउवा रूप तहरा

दहके पलास फूल जिया डहकावे हो। बनउवा रूप तहरा हमरा ना भावे हो॥   सोरहो सिंगार ओढ़ि ललखर चुनरिया गाँव नगर होत आइल सइयाँ दुअरिया गोरिया के नखरा जिया ललचावे हो। बनउवा रूप—–   घर अँगनइया में धप-धप अँजोरिया टटके सजल बाटे ललकी सेजरिया गजरा गुलाबी गोरी जिया बहकावे हो॥  बनउवा रूप—–   रूसियो के  फूलल नाहके कोहनाइल पजरा पहुँचि गोरी नियरा  ना आइल उपरल हिया में सूल जिया दहकावे हो॥ बनउवा रूप—–   जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

Read More

बरम बाबा

राउर महिमा रउरे जानी हम ना जानी मरम बाबा का का गाईं बरम बाबा॥   रउरे किरपा सोनरा के घर पसरल मजगर उजियारी पूजन अरचन करि करिके दीहलस कुलवा तारी।   जियत जिनगी करम करत मानि आपन धरम  बाबा। का का गाईं बरम बाबा॥   पहिले दिनवाँ कटत रहे जइसे तइसे,बाँची पतरा तहरे दीठि से पूरन भइल मुंसी से मालिक के जतरा   आँखि खुलल सनमान बढ़ल नइखे कवनों भरम बाबा। का का गाईं बरम बाबा॥   सरधा जेकर बा तहरा में किरपा ओपर बरसावेला ओकरे किरती के अँगना अँजोरिया…

Read More