लागल लड़िका के बजार

लागल लड़िका के बजार एहि जुगवै में कीनैं लड़की के बाप एहि जुगवै में !   तीन-चार लाख रुपइया पुलिस-प्राइमरी के भैया साथे एगो मोटर कार एहि जुगवै में लागल लड़िका के बजार एहि जुगवै में!   जवन जुनियर में पढ़ावै सात से आठ लाख फुरमावै कार दतवा चिआर एहि जुगवै में लागल लड़िका के बजार एहि जुगवै में!   दस लाख टीजीटी के पार माई – बाबू मांगैं कार देदा लड़की के डाल एहि जुगवै में लागल लड़िका के बजार एहि जुगवै में!   गरम पीजीटी के बाज़ार पनरह…

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अहम् के आन्हर सोवारथ में सउनाइल

का जमाना आ गयो भाया, आन्हरन के जनसंख्या में बढ़न्ति त सुरसा लेखा हो रहल बा। लइकइयाँ में सुनले रहनी कि सावन के आन्हर होलें आ आन्हर होते ओहन के कुल्हि हरियरे हरियर लउके लागेला। मने वर्णांधता के सिकार हो जालें सन। बुझता कुछ-कुछ ओइसने अहम् के आन्हरनो के होला।सावन के आन्हर अउर अहम् के आन्हरन में एगो लमहर अंतर होला। अहम् के आन्हरन के खाली अपने सूझेला, आपन छोड़ि कुछ अउर ना सूझेला। ई बूझीं कि अहम् के आन्हर अगर सोवारथ में सउनाइल होखे त ओकर हाल ढेर बाउर…

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एक कप चाह

(हमार मूल fb पोस्ट के भोजपुरी रूपांतरण) —— ‘चाह’ जिनगी ह । ‘चाह’ एगो एहसास ह। ‘चाह’  विरह के तड़प ह । ‘ चाह’ मिलन के मिठास ह । आरा -बलिया -छपरा ह  ‘चाह’ । ‘चाह’ भजपुर- रोहतास ह।  ऋतु में वसंत आ माह मधुमास ह।  तबे त सभका के पेय ई  ख़ास ह।   एही से केहू चाह के बारे में कहले बा- “तू पूनम हम अमावस, तू कुल्हड़ वाली ‘चाह’ हम बनारस” “अइसन ए गो ‘चाह’ सभका होखे नसीब ,कि हाथ मे होखे कप आ सामने महबूब” ‘चाह’…

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गजल

अपन लड़की सयान हो गइल , रात जागल बिहान हो गइल  ।   आज माई बेमार का भइल , सून घर कऽ दलान हो गइल ।   हमरे सीना  में लागल दरद, छुटकी लड़की हरान हो गइल ।   भाई -भाई में नाहीं पटल आध-आधा चुहान हो गइल ।   जब सहारा न कोई रहल, तब बुढा़ई जवान हो गइल ।   कान बेटा कऽ भरलस बहू , कुल कमाई जियान हो गइल ।   अपने चीनी कऽ सून के बखान गुड़ के छाती उतान हो गइल ।    …

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जुठार मोरा कजरा बोला का पउला

बदरा के फेर पिया काहे मोहइला जुठार मोरा कजरा बोला का पउला।   बिंदिया देखत रहे तोहरा नदानी झुमका गवाही देही बात मानी चनवो से बलमू ना जेरिको लजइला जुठार मोरा कजरा बोला का पउला।   होठवा के लाली सुघर सकुचायल घायल पैजनिया हो सहमल बा पायल चुड़िया के खनखन से अईसन लोभइला जुठार मोरा कजरा बोला का पउला।   मेंहदी महावर करैं न ठिठोली मधुरी बचनिया से बोलैं न बोली घुघटा बनी ढीठ कइसे उठइला जुठार मोरा कजरा बोला का पउला।   केशिया के खुशबू करी शोर जॉनी केकर…

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भोरे मोरे अँगना

कि खनकेला जइसे, सुघर हाथे कँगना बिहँसे किरिनिया, किलक उठे ललना पसरि उठे रंग ना। भोरे मोरे अँगना॥   चंहके चिरइया, आई अँगनइया ललना के मइया लेलीं बलइया हुलसि उठे पग ना। भोरे मोरे अँगना॥   भोरहीं बबुआ,माँगे जोन्हइया दुअरा बहारी दुलारेलीं मइया बजाई घरे घुघुना। भोरे मोरे अँगना॥     जयशंकर प्रसाद द्विवेदी        

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बरम बाबा

तू त देखतअ हउअ सब दिन-रात बरम बाबा नाहीं बा अब पहिले जइसन बात बरम बाबा   सुक्खू अपने अँगने में भी नल लगवा लेहलेन कुँआ पाट के रामधनि बइठका बना देहलेन बुधनी के दुआर पर खम्भा घर में लाइट बा बालकिशुन बिल देवे लगलेन जेबा टाइट बा   घरे-घरे पैखाना बा ,लोटा क जुग बिसरल केहू नाही अब जंगल में जात बरम बाबा ||   घर घर में टीवी बा ,डिश बा,इंटरनेट भी बा सबके पल्ले मोबाईल क बढ़िया सेट भी बा बर्गर,पिज़्ज़ा,चाउमीन सब मिलय लगल अब त केक, पेस्ट्री ,काफी,कुल्फी दिखय लगल अब त  …

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वेलेंटाइन

उठ ना अब ले सुतल बाड़ू। जाड़ा पाला में का तंग कइले बानी ।बेर बिहान होखे ना दीं। सुरसतिया के माई जल्दी उठ आज हमार वेलेंटाइन ना बनबूं। रउवो आपन उमीर ना देखीं ।एह उमर में कबो रेखा तो कबो हेमा मालिनी के शौख जाग जाता।ई वेलेंटाइन कवन भूतनी के नाम ह ? कवनो नया हिरोइन पर नजर पड़ल ह का ?काल सुरसतियो कह तहे कि माई काल एक सौ रूपिया दिहे वेलेंटाइन दिन ह। आज कल के लइकन कहियो माई दिवस, कहियो बाप दिवस मनावते बाड़न सं बाकिर एह…

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