जब मनई मनई के आस जरी बूझीं, लोकतन्त्र के लास जरी। गली गली भरमावल जाई उलटबासी पढ़ावल जाई आइल फिर चुनाव के मउसम फुटही ढ़ोल मढ़ावल जाई। कवनो बहेंगा, फिरो गरे परी । बूझीं, लोकतन्त्र के लास जरी। लागत हौ दिन बदलल बाटे एही से अब लउकल बाटे जनता के हौ जनलस नाही उनुके बेना हउकत बाटे। अब घरे घरे जाई, गोड़ परी। बूझीं, लोकतन्त्र के लास जरी। जात क लासा धरम क लासा गढ़ि गढ़ि के नवकी परिभाषा केहु क गारी केहु क गुन्नर देहल जाई…
Read MoreCategory: भोजपुरी कविता
देयाद
अलगाउज आँगना व्यथा औरी , मुंसुकी छाँटि व्यंग भर दौरी । मुँह बिजकल नियत बा खराब , घोर दुसुमन बनल देयाद बैरी । देयाद देयादी जरी भईल भौंरी , हर बात में हरदम जोरा-जोरी । दाजाहिसी देखजरूआ भईल , घोर दुसुमन बनल देयाद बैरी । ठेन बेसहेलन धूरी जेवर बरी , रेर हरदिन करे ढेरी बलजोरी । भोज- भवदी सभ छुट गईल , घोर दुसुमन बनल देयाद बैरी । चाल-ढाल बात -बतकही गैरी , बुझल धधकावेले खोरी-खोरी । अपनउज भाईचारा सभ गईल , घोर दुसुमन बनल देयाद बैरी । उमेश…
Read Moreधन पसु
बहेंंगवा-लफंदर बन घूमत रहन , ई त आहे प ढेला ढोवत रहन , अब त दिन – दूना रात – चौगना , बबुआ बड़हन नेता बनी बढ़न । पीठे पोछ फेंकी पिलकईलन , सभकर सलाह चुतरे दबईलन , सुमति टेरि कुमति के दाता भई , आग-पाछ विचारवा भुलईलन । नेत-धरम पीठिअउरा कईलन , सभके पछाड़ अगउरा भईलन , सभके एके लऊरी हंकलन , बनलो काम सभ बउरा कईलन । गोल बनाई गोलदार बनलन , सभके लूटि चौकीदार बनलन , सभकर त धन बाईसे पसेरी , कुबेर बन अवकातो थहलन। टटका…
Read Moreएगो चिरई गोहार लगावत रहत रहे
हमनी अइसन नगर में बसे खातिर रहली जा सरापित जेहवाँ सलीका के ना बाँचल रहे केवनो पड़ोस सिरमौर बनि के रहे जिनगी में तटस्थता बिना केवनो काम के प्रतिरोध एह घरी खलिसा एगो रूप मानल जात रहे मूर्खता के जेकरा किछुओ भेंटा जात रहे ऊहे मानल जात रहे रसूख़दार पद पैरवी पुरस्कारे से आँकल जात रहे केवनो आदमी के सरकारी संस्थानी ‘साहित्यभूषण’ के उपाधिए पहचान बनि गइल रहे बड़हन साहित्यकार के जे एक्को दिन क्लास में जाइ के ना पढ़ावत रहे ऊहे पावत रहे शिक्षक शिरोमणि के सम्मान चरने चाँपल…
Read Moreबाप के माल ह
इनकर उनकर सबकर दबा के हजम कइल रउरे चाल ह। बेसरमी से कहेलन बाप के माल ह। कुछो जोड़-घटा द इहाँ उहाँ के कुछो सटा द कुछ गूगल से उधार करS बाचल-खुचल अनुवाद करS फेर कतनों अनवाद करS थेथरई त ढाल ह। बाप के माल ह। एगो गिरोह बना ल कुकुर-बिलारो के मंच पर चढ़ा द जेकरा स के नइखे पता ओकरा शोध के काम पकड़ा द कबों अपनों विरोध करवा द एह पर त सभे निहाल ह। बाप के माल ह। कतों घुसुर के तर्क-बितर्क अपना…
Read Moreनदी के लाश बेहतर बा गुरूजी
बहत हर आदमी धारा में लेकिन किनारा पा सकल ना आज तक भी , सहारा अब कहां पाईं, भेटाई इशारा कर रहल इतिहास तक भी । खुदी के हाथ पर विसवास राखी ओही के आखिरी पतवार बुझी। नदी के लाश बेहतर बा गुरूजी। नदी के लाश,,,,,,,,, । नियम कानून कऊनो ना बनल ह कि कऊने रास्ता से केई जाई , उहा दरबान भी मिलीहे न तोहके कि बढ़ी के बोल दे एहरे से आईं । तोहार इमान ही बलवान ओहिजा भरल जिनगी जवन तोहसे अबुझी, नदी के लाश बेहतर…
Read Moreरहे इहाँ जब छोटकी रेल
देखल जा खूब ठेलम ठेल रहे इहाँ जब छोटकी रेल चढ़े लोग जत्था के जत्था छूटे सगरी देहि के बत्था चेन पुलिग के रहे जमाना रुके ट्रेन तब कहाँ कहाँ ना डब्बा डब्बा लोगवा धावे टिकट कहाँ केहू कटवावे कटवावे उ होई महाने बाकी सब के रामे जाने जँगला से सइकिल लटका के बइठे लोग छते पर जा के अरे बाप रे देखनी लीला चढ़ऽल रहे उ ले के पीला छतवे पर कुछ लोग पटा के चलत रहे केहू अङ्हुआ के छतवे पर के उ चढ़वैइया साइत बारे के पढ़वइया…
Read Moreचिरईं फेर से चहकी
पुरवा फेर से बहकी। हर पत्ता पियराइल बा कतहूं गंध हेराइल बा टेढ़ परीक्षा आइल बा फूलवा फेर से महकी। अबहीं रात के डेरा बा सब समय के फेरा बा धीरज धरे के बेरा बा चिरईं फेर से चहकी। डॉ हरेश्वर राय सतना, मध्य प्रदेश
Read Moreखेला
नदी पर ढेर दिन ले पूल ना रहे केहु कहे कि नदी के पूल पसन ना ह केहु कहे कि पूल के इ नदी पसन नइखे बूढ़वा बिधायक दूनू जाना के बात गाँठ बान्ह लेले रहनी कहीं कि, जवन नदी के पसन जवन पूल के पसन, उ पब्लिक के पसन जवन पब्लिक के पसन उ बिधायक के करतब्ब बिधायक जी छव गो चुनाव पार क गईनी बिना पूल के . . . . बाकि एकरा के खेला मत बुझीं खेला त इ रहे कि तीस साल में पूल छव…
Read Moreबाबूजी
घरवा के मुखिया लइकन के मुस्कान बाबूजी के पाकिट में रहेला सब के जान। सब के ख़ुशहाली बजा के ताली सब दुख दूर होला चुटकी में खाली। बाबूजी जइसन छाता हमनी के विधाता। दुनिया जहान में नइखे आइसन सुंदर नाता। माई के सिंदूर चमके। खेत बधार गमके। बाबूजी के पसीना से अंगना अँजोर दमके। बहाके पसीना जगाके आस। रोटी में आवेला मिठास। कर देलन चुटकी में दूर परेशानी, उनका जइसन केहू नइखे ख़ास। सविता गुप्ता राँची झारखंड
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