बस्तर आपन प्राकृतिक खबसूरती के अलावे कला-संस्कृति के दुनिया में एगो खास जगह राखेला। हाल-हाल तक ई इलाका ‘नक्सली’ हिंसा के चपेट में रहे आ ‘लाल गलियारा’ के धुरी बनल रहे। हम रायपुर से रात के बस धर के भोरे बस्तर के मुख्यालय चहुंपनी। फजीरे फजीरे केनियों भटके के मन ना करत रहे तऽ बस स्टैंड के ऊपरी तल्ला पऽ बनल ‘यात्री निवास’ में रुके के इरादा भइल। रूम लियाइल आ जेबी नासता करे निकले के मन भइल तबले पता चलल कि हमनी भीरी ताला ना रहे। मनेजर से पुछनी…
Read MoreDay: June 26, 2024
परिवार के देल पगड़ी: खानदान के इज्जत
बाप – दादा के नांव के आगे सिंह लागल रहे। सिंह के आपन एगो अलगे पहचान होला आपन एरिया में। आगे अउर बनल बाबू कुंवर सिंह नवाज देलन एगो अउर टाइटिल,नाम के आगे चौधरी लगाके काहे कि एक जंगल में दूगो सिंह ना रहे। अउर बनल चौधराहट के जोमे मातल खानदान धन के किनारे करि रईसी आ इज्जत बढ़ावे में लागि गइल।रईसी एह परिवार में ऊ ना रहे जेवन रईस परिवार में रहेला। इज्जत ढोये खातिर रईसी कान्हे ढोआत रहे। जेकर पहचान ओह घरी के बिहार के सतरहो जिला में…
Read Moreटुनटुन उर्फ पाब्लो पिकासो
” ए टुनटुन भइया तनी हमरो गइया बना दा न ।” एगो साँवला, नाटा लइका के घेरले कुल लइकी-लइका चिरौरी -बिनती करत रहलन अउर एहर अपने कला के कॉपी में गाय के पोंछ के रंगे में लवलीन सिर झुकवले टुनटुन केहुए ओरी धियान ना देत रहलन।उनकर माथा तब्बे ऊपर भइल जब उजरकी गाय रंगाय -बन्हाय के पियरका पन्ना पर एकदम हूँफे-धावे खातिर तैयार देखाय लगल। टुनटुन के नन्हकी आँख में तरई जगमगाय गइल।होठ के गोल घुमाय के उ सीटी बजवलन – ” ला लोग, धउरे खातिर हमार उजरकी तैयार हो…
Read Moreमैना
कबले रहबू परल अलोंता बेर भइल अब छोड़ऽ खोंता सोझां तोहरा आसमान बा देखऽ आंखि उघारऽ मैना अब त पांखि पसारऽ मैना ! कबों सांझि कबहूं दुपहरिया कबों राति डेरवावे अचके खरकि जाय पतई त सुतबित सांस न आवे बहुत दिना अन्हियारा जियलू ना जाने केतना दुख सहलू सूरुज ठाढ़ दुवारे तोहरा बढ़िके नजर उतारऽ मैना ! केहू भोरावे दाना देके केहू जाल बिछावे केहू पांव में मुनरी डाले बेड़ी केहू लगावे पिंजरा के तूं नियति न मानऽ अबहूं अपना के पहिचानऽ गरे परल सोने क हंसुली ओके तोरि निकारऽ…
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