गजल

मुहब्बत खेल ह अइसन कि हारो जीत लागेला

भुला जाला सभे कुछ आदमी , जब प्रीत लागेला

 

अगर जो प्यार मे मिल जा त माँड़ो-भात खा लीले

मगर जो भाव ना होखे , मिठाई तीत लागेला ।

 

पड़े जब डांट बाबू के , छिपीं माई के कोरा मे

अजी ई बात बचपन के मधुर संगीत लागेला

 

कबों आपन ना आपन हो सकल मतलब का दुनिया मे

डुबावत नाव उहे बा , जे आपन हीत लागेला

 

कहानी के तरे पूरा करीं, रउवे बताईं ना

बनाईं के तारे हम छत ढहे जब भीत लागेला

 

दुखो मे ढूँढ लS ना राह ‘भावुक’ सुख से जीये के

दरद जग राग बन जाला त जिनगी गीत लागेला ॥

 

मनोज ‘भावुक’

Related posts

Leave a Comment