साहित्य अकादमी भाषा सम्मान एगो भारतीय साहित्यिक पुरस्कार हवे,जवना के शुरुवात साहित्य अकादमी सन 1954 से कइलस। साहित्य अकादेमी एगो स्वसत्ताशासी संस्था हवे जवना पर सरकार के हस्तक्षेप नइखे। ई संस्था साहित्यकारन द्वारा साहित्य के बढ़न्ति खातिर बनावल गइल बा। साहित्य अकादमी मान्यता-प्राप्त 22 + 2 गो भाषा में हर बरीस पुरस्कार देवेले। उहवें भोजपुरी जइसन गैर-मान्यता प्राप्त भाषावन में उत्कृष्ट लेखन के प्रोत्साहित करे खाति लेखक लोगन के सन 1996 से सम्मानित करे के प्रयास शुरू कइलस। एकरा पाछे भोजपुरी के साहित्य अनुरागियन के बहुते लमहर संघर्ष आ प्रयास रहल। साहित्यिक रचना का संगे शैक्षिक अनुसंधान के बढ़न्ति खाति एह सम्मान के स्थापना भइल। ई पुरस्कार लेखक लो, विद्वान लो, संपादक लो, संग्रहकर्ता लो ,कलाकार लो आ अनुवादक लो के उनुका भाषा में कइल परचार, अनुसंधान भा आधुनिकीकरण के खाति दीहल जाला। एह सम्मान में एगो शॉल+ पुरस्कार पट्टिका का संगे 1 लाख रुपिया दीहल जाला।
साहित्य अकादमी का ओर से अब तलक भोजपुरी भाषा-साहित्य के प्रोत्साहना खाति वर्ष 1996 में श्री धरीक्षण मिश्र, वर्ष 2000 में श्री मोती बी.ए. अउर वर्ष 2013 में कवि श्री हरिराम द्विवेदी जी के इ सम्मान मिल चुकल बा। साहित्य अकादमी के मानक का हिसाब से भोजपुरी भाषा-साहित्य में उत्कृष्ट लेखन खाति डॉक्टर अशोक द्विवेदी आ श्री अनिल ओझा ‘नीरद’ के संयुक्त रूप भोजपुरी भाषा सम्मान 2021 देवे के घोषणा भइल बा, जवना से सगरे भोजपुरी साहित्य जगत हुलासित बा। एह अवसर पर भोजपुरी साहित्य सरिता परिवार दूनों साहित्यकार लोगन के बेर-बेर बधाई आ शुभकामना दे रहल बा।
अइसन बेरा में दूनों साहित्यकार लोगन के अब तक कइल गइल काम का ऊपर एगो हलुक नजर डालल नीमन लागी। आईं सभे दूनों लोगन का बारे में कुछ जानल जाउ-
डॉ अशोक द्विवेदी
डॉ अशोक द्विवेदी के जनम गाजीपुर जिला में भइल रहे। डॉ अशोक द्विवेदी जी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से “नये काव्य प्रतिमानों के संदर्भ में नई समीक्षा” विषय में पी एच डी (1975) में कइलन। ओकरा बाद उहां के हिन्दी में दूगो किताब “घनानंद और उनकी कविता” (आलोचना) 1975 आ “मीसा में बन्द देश” (कविता संग्रह) 1977 आइल। ओह समय इहां के हिन्दी के लेख, कहानी आ कविता नामी-गिरामी पत्रिकन आ अखबारन में प्रकाशित होखे आ अच्छा-खासा मेहनतानो मिले बाकिर अब इहां के मन भोजपुरी खातिर कुछ करेके सुगबुगाइल जवना का चलते भोजपुरी के पहिलका काव्य संग्रह “अढ़ाई आखर”1978 में प्रकाशित भइल, ” समीक्षा के नये प्रतिमान”1992, (हिन्दी आलोचना) प्रकाशित भइला के बाद ” रामजी के सुगना” (भोजपुरी निबंध संग्रह) 1994 अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन से पुरस्कृत,” गांव के भीतर गांव “(भोजपुरी कथा संग्रह) 1998 उत्तर प्रदेश में ‘राहुल सांस्कृत्यायन पुरस्कार से पुरस्कृत,” आवऽ लवटि चलीं जा ” (कथा संग्रह) 2000, “फूटल किरिन हजार” (कविता संग्रह) 2004,” मोती बी. ए. रचना संसार (मोनोग्राफ) 2014 साहित्य अकादमी के ओर से प्रकाशित, “कुछ आग कुछ राग” (कविता संग्रह) 2014, ” बनचरी” (एतिहासिक उपन्यास) 2015, ” रामजियावन दास बावला “(मोनोग्राफ) 2018 साहित्य अकादमी के ओर से प्रकाशित, “भोजपुरी रचना आ आलोचना (समीक्षा) 2019 आदि के प्रकाशन द्विवेदी जी के सतत रचनाशीलता आ तपस्या के प्रमाण बा। भोजपुरी के जानल- मानल आ प्रतिष्ठित पत्रिका ” पाती” के प्रकाशन इहां के 1979 से शुरू कइनी जवन अजुवो जारी बा। एकरा माध्यम से इहां के सैकड़न नया-पुरान भोजपुरी साहित्यकार लोग के एगो सुंदर आ मजबूत मंच देबे के काम कइनी आ करऽतानी । “पाती रचना मंच” के ओर से हर साल एगो जिला (बलिया) के आ एगो जिला से बाहर के भोजपुरी साहित्यकार के “पाती अक्षर सम्मान” से सम्मानितो करेके काम होला जवना के संरक्षक इहें के बानी । एकरा अलावे इहां के अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन में प्रवर समिति के सदस्य आ उपाध्यक्ष के रूप मे कामो कइल कवनो साधारण काम ना कहाई।
अनिल ओझा ‘नीरद’
अनिल ओझा ‘नीरद’ के जनम बलिया जिला के रुद्रपुर गांव में भइल रहे । बाकिर कलकत्ता में रहि रहल बानी । हिन्दी से एम ए , कलकत्ता विश्व विद्यालय से बी.कॉम आ साहित्य रत्न प्रयाग से कइले बानी । सबसे पहिले इहां के काव्य संग्रह ‘माटी के दीया’ आइल फेरु ‘वीर सिपाही मंगल पाण्डेय ( खण्डकाव्य – मंगल पाण्डेय प आ संभवतः कवनो भाषा में पहिला किताब अमर शहीद मंगल पाण्डेय प ) , पिंजरा के मोल’ (गीत संग्रह) , गुरू दक्षिणा ( कहानी संग्रह) , बेचारा सम्राट, कहत कबीर, आचार्य जीवक ( ऐतिहासिक उपन्यास ) किताब प्रकाशित हो चुकल बाड़ी स । यानि कि इहां के लेखनी भोजपुरी गद्य आ काव्य दुनो प भरपुर चलल बा, सोगहग आ ढीठे चलल बा । इहाँ के लेखन में खाँटी भोजपुरी के महक आ सुघरई दूनों बा जवन कतों अउर कमें देखाला। इहे ना बेचारा सम्राट में सम्राट अशोक प , कहत कबीर में कबीर प आ आचार्य जीवक के बारे में उपन्यास लिखे वाला भोजपुरी के पहिला साहित्यकार के श्रेय इहें के जाला । संभवतः आचार्य जीवक प हिंदियो में कवनो उपन्यास नइखे ।
इहां के पश्चिम बंग भोजपुरी परिषद के संस्थापक सदस्य रहल बानी, साहित्य सचिव रहनी । कलकत्ता से निकले वाली सुप्रसिद्ध भोजपुरी पत्रिका , भोजपुरी माटी के लमहर समय ले सम्पादक रहि चुकल बानी । लगभग 18 साल ले इहाँ के रंगमंच से जुड़ल रहनी आ टीवी सिरियल, सिनेमा में भी काम क चुकल बानी ।
( अशोक कुमार तिवारी,नबीन कुमार आ अजीत दुबे जी के फेसबुक पोस्ट से साभार)
ज्योति द्विवेदी
अवंतिका -II, गाजियाबाद