आइल शरद बहार रे,आइल शरद बहार।
पहरा बीति गइल पावस के,लोग भइल खुशहाल।
ताल ताल पर कलरव उतरल,धरती भइलि निहाल।।
झलकलि पूरब ओर,भोर के गोरिया, दमकल भाल।
चमकलि पांव पखारल मोती,गमकल मलल गुलाल।।
हंसा चलल विदेसे,अइली ढेंकी बान्हि कतार रे।आइल शरद—-।।
झिर-झिर बहल जोमाइल नारा,लवटल नदी बिसास।
सिहरल सून अरार,निछाने फूलल गह गह कास।।
गुलगुल पलिहर पर तरनाइलि,आइलि फफनलि घास।
हंसि-हंसि हंसुआ चले गुजरिया,बतरस भरल लहास।।
झूमि उठल मद भींनल बजरा,खंजन नयन निहार रे।आइल—-।।
चम-चम किरिनि सरग से उतरलि,उज्जर दिन पुरवार।
निरमल रइनि अंजोरिया उमड़लि,बिटिया बनल कुंआर।।
उझिलल अमृत बुझाइल सगरे,फूलि उठल भिनुसार।
मातलि बकुल कियारी त,झरि परलन हर सिंगार।।
बाग बगइचनि में जुड़ छाहीं,शीतल चललि बयार रे।आइल—-।।
फूलल कंवल,उड़ल रसि रसिया,भौंरा भरल गुमान।
झिलमिल कुहरा चलल दनाउर,भइले मधुर बिहान।।
खूललि दसो दुआरि,खेत में हंसल अगहनी धान।
बावग चिन्ह लमेरा जामल,हंसि-हंसि चलल किसान।।
अगरा गइल पपिहरा स्वाती, धनियां करु सिंगार रे।आइल—।।
घहरा गइल दशहरा मेला,चिखा गइल पकवान।
चारू भइया चारि चान जस,लीला के मैदान।।
हंसी-खुशी से छउकल लइका,लउकल धनुही बान।
टटके दिया-दियारी,दुरदिन दू दिन के मेहमान।।
कातिक लगल नहान,सिवाने आइल खूब सुतार रे।आइल शरद बहार।।
डाॅ विवेकी राय
जन्म 25/07/1927
गांव सोनवानी,कारो, गाजीपुर।।