आपन रीति आपन नीति
आपन करम भुला गइलन।
देखs घरवाँ रार मचावे
शकुनि मम्मा आ गइलन॥2॥
सोचलन उहवाँ होई का,का
करत होइहें ओहनी फाँका।
देखलें जरत घीव क दियरी
चउकठ लँघते बउरा गइलन॥
देखs घरवाँ रार मचावे
शकुनि मम्मा आ गइलन॥2॥
बाबू-माई कबों न बुझलन
भाईन के भाई न समुझलन
बहिनो घरवाँ फाँड़ करावे
दिन अछते हहुआ गइलन॥
देखs घरवाँ रार मचावे
शकुनि मम्मा आ गइलन॥2॥
घर वालन के ठेलि भुइयाँ
हित-मीत ला इनरा-कुइयाँ
अपने नीमन खाट पकड़ि के
लोटs खातिर अगरा गइलन॥
देखs घरवाँ रार मचावे
शकुनि मम्मा आ गइलन॥2॥
गोतिन से गोतिन लड़ववलें
लइकन के कुरता फड़ववलें
अदमिन बीचे खोनि के गरहा
ओहमें सभके अझुरा गइलन॥
देखs घरवाँ रार मचावे
शकुनि मम्मा आ गइलन॥2॥
दुई में चार, चार में चालीस
घोर-घार सभ कइलें खालिस
लाल मिरिच के तड़का देइके
आँखिन लोर बहा गइलन॥
देखs घरवाँ रार मचावे
शकुनि मम्मा आ गइलन॥2॥
कइल-धइल पर पानी फेरलें
नीमन के बाउर कहि घेरलें
रकत रोइनियाँ सभे रोवा के
मुसुकी मारि परा गइलन॥
देखs घरवाँ रार मचावे
शकुनि मम्मा आ गइलन॥2॥
- जयशंकर प्रसाद द्विवेदी