”फूटल , किरिनिया ,त, मन, मुसूकाइल
बिहंसल, भोर- भिनसार ,
लक-दक फुलवा, के, भरल बगइचा से ,
धरती के सोरहो सिंगार i
उचरत- कगवा ,लेअइलस , सनेसवा ,
बहुरल ,दिनवा ,हमार ,
पुरुबी -बयरिया ,उड़वलस अंचरवा
…
… चुनरी भरल, कचनार i
मुंहवा के ,पनिया, सजनिया ,निहारे
ख़ुशी -ख़ुशी ,ओसरा , दुवार
उदित सुरुजवा के ,जगमग, ज्योतिया से,
चहु दिशी ,सब उजिआर i
घर के पूरनिया , जे ,दूअरा बइठी के ,
सुमिरेलें, डीह-डीहवार ,
मारे, किलकारी ,सब, लइका -लइकिया ,
बरसेला ममता अपार!
गांव के पुरुबवा में माई के मंदिरवा,
आ ओहिजे बा पकवा ईनार।
निमिया के छहिरा में बड़ सुख पावे,
बैठेला गंऊवा जवार ।
फूटल , किरिनिया ,त, मन, मुसूकाइल
बिहंसल, भोर- भिनसार।
- संजय चतुर्वेदी