आफत बनके आइल कोरोना,
अजी हम सुकवार नइहर की।
आटा सानत मोरी मुरूके कलाई,
मुरूके कलाई अजी जीउ जर जाई,
ओह पे ताना मारे सास! कहें काम इ तिहारी,
अजी हम सुकवार नइहर की।
आफत बनके आइल कोरोना …
बरतन माजत मोरी हाथ करिआई,
हाथ करिआई सगरी देह मरूआई,
ओह पे लेबे चुटकी देवरा ! कहें काम इ तिहारी,
अजी हम सुकवार नइहर की…
आफत बनके आइल कोरोना ….
मचकल कमर तबो झाड़ू लगाई,
झाड़ू लगाई अजी पोछा लगाई,
ओह पे मटक मटक के बोले ननदिया! काम इ तिहारी,
अजी हम सुकवार नइहर की।
आफत बनके आइल कोरोना…
कपड़ा धोवत मोरी अगुरी छिल जाई,
अंगुरी छिल जाई मोरा देह घिस जाई,
ओह पे साजन जी के घुड़की! कहे काम इ तिहारी,
अजी हम सुकवार नइहर के।
आफत बनके आईल कोरोना
अजी हम सुकवार नइहर के…..
बिम्मी कुँवर सिहं
हिन्दी भोजपुरी लेखिका
सिलीगुड़ी