दिन धोइ साफ करे
नभ इसलेटिया
तारा गीत लिखि
चान करे दसखतिया। तारा
के पढ़ी तरई हो
करुन कहानियाँ
लिपि अनजान मुँहे
नाही बा जबनियाँ
देखे के बा खाली
ओरि अन्त हीन गीतिया ।तारा
लोग कहे लोक यह
आँख का सिवान में
छोट बड़ निगिचा आ
दूर आसमान में
हम कहीं नाहीं
ई करेजवा के बतिया।तारा
जिन ताकअ तरई आ
चान ई बेमारी ह
हम कहीं देखे द
सुकून के इयारी ह
उठत बनत नाहीं
लागे असकतिया। तारा
- आनन्द संधिदूत