भोजपुरी के लोकप्रिय रचनाकार जयशंकर प्रसाद द्विवेदी के तीसरकी किताबि ‘आखर-आखर गीत’ के आवरण के ऑनलाइन लोकार्पण कई दिन पाछे ‘सर्व भाषा ट्रस्ट’ के आभासी मंच फेसबुक आउर यूट्यूब पर लाइव कइल गइल। कार्यक्रम के शुरूआत डा. रजनी रंजन के सरस्वती वंदना से भइल । कार्यक्रम के अध्यक्षता सर्वभाषा ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री अशोक लव कइलें आ मुख्य अतिथि सुभास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक श्रीवास्तव रहलें। कार्यक्रम का सफल आ प्रभावी संचालन डा. सुमन सिंह संपन्न कइली। मुख्य वक्ता का रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डा. मुन्ना के पाण्डेय, घाटशिला, झारखंड से डा. रजनी रंजन, सर्वभाषा ट्रस्ट के समन्वयक केशव मोहन पाण्डेय आउर सुविख्यात भोजपुरी लोकगायिका संजोली पाण्डेय शिरकत कइली।
सरस्वती वंदना का बाद आवरण विमोचन खाति किताबि के गीतन पर आधारित एगो विडियो प्रस्तुत कइल गइल। ओकरा बाद रचनाकार जे पी द्विवेदी जी अपना साहित्य-यात्रा से जुड़ल कुछ रोचक संस्मरण सुनवलें आउर संगही भोजपुरी भाषा के उत्थान खाति आपन प्रतिबद्धता सबके सोझा रखलें । ओकरे बाद आखर-आखर गीत’ में संकलित ‘बरसेला मेघ जलधार हो’ के लोकगायिका संजोली पाण्डेय गा के सुनवलीं आउर एह गीत से जुडल आपन अनुभव सुनवली। बतावत चली कि संजोली पाण्डेय द्वारा गावल एह गीत के अबले सोलह लाख से अधिका लोग यूट्यूब पर सुन चुकल बाड़ें। उ गीत के कुछ छंदन के प्रस्तुतो कइली।
वक्तव्य का क्रम में ‘आखर-आखर गीत’ पर आपन विचार राखत हिन्दी आ भोजपुरी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार आ सर्वभाषा ट्रस्ट के समन्वयक केशव मोहन पाण्डेय एह संग्रह के श्रव्य, दृश्य आउर कर्म के कसौटी पर राखत लोक के संग्रह के संज्ञा दीहलें। डा. रजनी रंजन एकरा के लोकधुन के परंपरा के आगे बढ़ावे वाला आउर समसामयिक संग्रह बतवलीं। एह किताबि पर गंभीर विवेचना राखत दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डा. मुन्ना के पाण्डेय बतवले कि एहमें लक्षणा आउर व्यंजना के गीतन के अधिकता बा। ई भोजपुरी के सायास पहचानो बा। एकरा संगे उहाँ के संग्रह के प्राण-तत्व व्यंग्य के गीतन के रेखांकितो कइलें।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अशोक श्रीवास्तव जी गीतकार जे पी द्विवेदी के भोजपुरी ला समर्पण के रेखांकित करत कई गो संस्मरण सुनवलें आउर किताबि के सफलता के कामना कइलें। अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में सर्वभाषा ट्रस्ट के अध्यक्ष आउर हिन्दी के प्रख्यात साहित्यकार श्री अशोक लव कोरोना काल में रचनाकारन के जीवटता के बात करत आखर-आखर गीत के कई गो प्रमुख बातन के उकेरलें । कार्यक्रम का सफल आउर प्रभावशाली संचालन विदुषी साहित्यकार डा. सुमन सिंह नीमन से सम्पन्न कइली। अंत में केशव मोहन पाण्डेय जी ने सभे के प्रति आभार व्यक्त कइलें।