मन सून-सून मनसून बिना। अबले ताले कमल खिलल ना तन लागेला खून बिना। एक तऽ अदिमी अइसे जरना हिया भरल अंगार ऊपर से सूरुज दहकावे हो के माथ सवार भाव बिना सूनी कविताई खत सूना मजमून बिना। नदी मात के छाती सूखल भूखे शिशु छपटाय पेड़ लता के बाँचल ठठरी कब जाने भहराय जोजन भर उड़ि गइली चिरई भहरइली जलबून बिना। बेना लिहले बइठल के ना? हँउकत हाथ पिराय तबहूँ टपटप चुवे पसेना गगरी भरि-भरि जाय बुढ़िया दादी अटपट बोले तन अँइठाइल नून बिना। उमख उड़ावे ईत्तर जइसन नींनि आँखि…
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गजल
जादू बा सरकार , रउरी ऑखिन में, डूबल बा संसार , रउरी ऑखिन में, निरमल ताले कमल फुलाइल लागता, लाल- लाल चटकार , रउरी ऑखिन में। अमिय, हलाहल, मदिरा के प्याली हउवे, जिअल, मुअल, मॅझधार , रउरी ऑखिन में। उषा के लाली कि बारल दुइ दियरा, जगमग जोति पथार , रउरी ऑखिन में। सूरज, चंदा जोति जुगावे रउरे से, अइसन बा उजियार , रउरी ऑखिन में। छुरी, कटारी, तोप, मिसाइल, एटम बम, गजबे बा हथियार , रउरी ऑखिन में। बहत रहेला ऑसू अक्सर सुख दु:ख में, काहे पानी खार ,…
Read Moreतनी बरिस$ ना
तनी बरिस$ ना बदरा कचरि के. गरमी डललसि बेमार, हो के बहुते लाचार, करीं तहसे गोहार हम लचरि के. तनी बरिस$ ना बदरा कचरि के. अउसत बा, रात – दिन छूटे पसेना सूखे ना, केतनो हँउकला से बेना धरती भइली अंगार, जरे अंगना दुआर, जान मारत हमार बा जकड़ि के. तनी बरिस$ ना बदरा कचरि के. तनिको सहाता ना तन पर के सारी दहि जाला बिंदिया का रूपवा सँवारीं क द$ अइसन बौछार, भरि जा नदिया ईनार, लोगवा जा ओह पार सब पँवड़ि के. तनी बरिस$ ना बदरा कचरि के.…
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