सावनों में दंवके सिवनवाँ अँगनवाँ मोरे, अगिन बरिसे। नीलहा अकसवा के बदरा रिगावे दिनवाँ में देहियाँ के लवरि जरावे सुसकेला खेतवा किसनवाँ अँगनवां ——– बिंयड़ा में धनवा क बियओ झुराइल पहिले जे रोपल,रोपलो मरुआइल बिरथा बा असवों रोपनवाँ अँगनवां————- कइसे कहीं अब हुंड़रा के धवरल रसते में गोजर बिच्छी के पँवरल फुँफकारे किरवा क फनवाँ अँगनवां ——– जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
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हमहूं आजु दरिद्दर खेदब
हमहूँ आजु दलिद्दर खेदब, घुमि घुमि सूप बजाइब हो।, कहियै कै सोवलि किस्मत बा, ओके आजु जगाइब हो।। सूप बजावत पुरखा लोगवा, बदहाली में मरि गइलैं, घुसुरल जवन दरिद्दर बइठल, हमरे माथे थरि गइलैं, पकरि के टेटा ओहि कुकुरे कै, गड़ही ले दउराइब हो।, कहियै कै सोवलि किस्मत बा, ओके आजु जगाइब हो।। जेकर नाँव अकाशे दउरे, केतना सूप बजउले होई, कउने जोजन से ऊ अपने, भगिया के चमकउले होई, भगै दरिद्दर हमरे घर से , जुगुती उहै लगाइब हो।, कहियै कै सोवलि किस्मत बा, ओके आजु जगाइब हो।। लालबहादुर…
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