मंगला के मेहरी दुआरा पर बैठकर के गोबर के गोईठा बनावत रहे, तब ले गाँव के रिस्ता मे बुआ लगीहन उ ओकरा दुआरा पहुँचली। आउर मंगला के मेहरी के उदास चेहरा देख के बोलली। “रे पतोहीया काहे मुहँ लटका के बईठल बारिश रे। ई अवाज गाँव के एगो बुआ के रहे”। पहीले त पतोहीया उल्टा जबाब देवे के मुंड मे रहे लेकिन थोड़ा-सा बुढ़ बुजुर्ग के लेहाजे चुप-चाप बैठ के रह गईल। फिर भी बुआ ओकर मुहँ मे अंगुली कईल ना बन्द कईली। “दुर-हो, बोल देवे त खिया जईबे का”…
Read MoreTag: जियाउल हक
मजदूर के प्रेमकथा
मनोज एगो डेहारी मजदूर रहें। अभी-अभी नया साल में ही ओकर शादी भाईल रहें। मनोज के सब साथी आपन मेहरारु के साथे घुमे जात बारे वेलेंटाईन डे पर। मनोज भी सोचलस की हमू काहे ना आपन औरत के कही घुमावे ले जाई। मनोज एगो खुशीदिल इंसान रहें। ठेकेदार से पाईसा लेके मनोज प्लान बनाईलस कि 14 फ़रवरी के हम भी आपन औरत के बिग-बाजार घुमावे ले जाएम। ई बात सुन के मनोज के औरत बहुत खुश भईल और ऊ दुनू मियाँ बीबी बिग-बाजार घुमे खातिर गईले। मनोज के कहला पर…
Read Moreका मरदे का हाल बा
पहिला बार जोगेश्वर भाई के केहूँ मुम्बई बोलाइले रहे ई कह के आवऽ बहुत बढ़िया कम्पनी बा, फ्रेशर्स लइकन खातिर सिखे के बहुत बढिया जगह बाटे। जोगेश्वर भाई किशोरावस्था से आगे निकल चुकल रहलन अब उनका आपन जिम्मेदारी के आभार हो चुकल रहें जेंगन हम के भी आभार हो चुकल रहे आउर आखिर जिम्मेदारी के आभास होई काहे ना उनका। घर के बड़ बेटा जे ऊ रहले हमरे नियन उहो। माई के आंसू आ बाबूजी के परेशानी आ दर देयाद पर पटिदार के वर्ताव आ रिश्तादार लोगन के ताना बाना…
Read More