ई धरती पर सब इन्सान चाहे पुरुष होखे चाहे ऊ महिला होखे आपन जन्म के अधिकार के साथ अपना के विकास करे के चाहे आपन सपना पूरा करे के सबके बराबर के समानधिकार त होए के ही चाही पर 21वी शताब्दी जहवा इन्सान चाँद पर पर पहुंच गईल बा है बकिये औरत के प्रति सोच समाज के आजो संक़ीर्ण बा ।आजो ई पुरुष प्रधान समाज में नारी के साथ ओकर लौगिंक आधार पर भेद..भाव करल जायें ला औउरी ओकरा के शारीरिक रुप से कमजोर समझ के हेय दृष्टि से देखल…