का हो मुखिया !

घूमत रहलें गल्ली-गल्ली देखत कहवाँ ऊंच-खाल बा। पूछलें रामचरितर उनुसे का हो मुखिया ! का हाल बा।   कवन नवकी घोषना भइल कतना फंड बा आइल रउरा घरे मुखियाइन त रहनी खूबै धधाइल। हमनी के ना कुछौ मयस्सर रउरा धइले खूब ताल बा। का हो मुखिया ! का हाल बा।   पर शौचालय बन्हल कमीसन मनरेगा बा लमहर मीसन एह घरी चलत बा जमके पूजा घर के उद्धारी सीजन । देवी देवतन के कामो में रउरा छनत खूब माल बा। का हो मुखिया ! का हाल बा।   पानी के…

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नवके मनराखन के मनकही

का जमाना आ गयो भाया, लागत बा कि जयचंदन के फिरो दिन बहुरे लागल। अपना के फलाना भाषा के साहित्यकार कहवा के लुगरी आ लकड़ी बिटोरे में सरम ना लागे बाक़िर ओह भाषा पर अंगुरी उठावत बेरा अपना के बड़का भाषाविद बुझे लागल बा लोग। साँच के नकारे के फेरा में लोग कुछो लिखे- बोले लागत बा। लोग बुझत बा कि ई भषवा परती सरकारी जमीन ह, ओहपे कुछो करीं, धरीं, केहू कहे सुने वाला नइखे। केहू साँच बतावतो होखे त बतावत रहे, अपना कोरट के जज अपनही नु बानी,…

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‘कउने नरेसवा क देसवा उजरि गइले…’

आजु रामजियावन दास ‘बावला’ जी के जयंती हऽ। ‘बावला’ जी, लोकमन के कवि रहलें। कुछ विद्वान लोग उहाँ के ‘भोजपुरी के तुलसीदास’ कहले बा। बाकिर हम उहाँ के तुलना कवनो दोसर कवि से ना करऽब। ‘बावला’ जी के कवनो प्रतिमान नइखे हो सकऽत। कवनो पैमाना भा कसउटी पऽ उहाँ के नइखे तउलऽल जा सकऽत। काहें कि उनका जइसन केहु भइले नइखे। उहाँ के तुलना, उहाँ से ही हो सकऽता। ‘बावला’ जी से पहिला भेंट हमके इयाद बा। पर, पहिलका छवि हमरे मन में कइसन अंकित भइल? सहजमना। सोझ। गँवई औदार्य…

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तोल मोल के बोल

लेवरल पोतल ह उप्पर से भितरी बड़का झोल, फकीरा, तोल मोल के बोल, फकीरा।2।   लगल घून हौ धरम करम में नेह चटलेस दियका। लूह लागल हीत-नाता के सरम बिलाइल, डहका । इंटरनेट पर पीटत बबुआ परंपरा के ढोल, फकीरा , तोल मोल के बोल, फकीरा।2।   तूरत फ़ारत झंखत झारत आगि लगवलें घर घर । कवनो बात भइल बा इहवाँ बोलत बाटे टर टर । जेकरा खातिर छोड़ला सभके उहे खोलता पोल, फकीरा, तोल मोल के बोल, फकीरा।2।   के के फुकले बा पुवरउटी इरिखा में जरि जरि के।…

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नातिदीर्घ हास-परिहास -भड़ाँस मूलक निबंध

[पढ़े के पहिले निहोरा-भोजपुरी लोकचेतना के बानी हियऽ।सामूहिक चेतना के ।इहाँ कवनों प्रवृत्ति के उभरत- पसरत देर ना लागे।इहाँ जवन होला भा लउकेला ऊ सामूहिक चेतने से निकसिये के कहीं पइसारो पावेला।एह से एह आलेख के ओही नजरिया से पढ़ल जाये के चाहीं।तबे आनंद मिली।कवनों बात के अपने पर लोकल ओतने बेजाँय हऽ जेतना अपना खुशामद पर अगरा के आसमान छूये खातिर उछले लागल।] हमनीं से जिन अझुरइहें हबकि लिहब ~~~~~~~~~~~○○~~~~~~~~~~ भोजपुरी में एगो त पढ़ के लिखे वाला मनइये कम बाड़न आ जिन बड़लो बाड़न ऊ अपना के केहू…

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फगुनहटे में

पिहिके कोइलिया तनिक अहटे में धसोर गइल पुरुवा फगुनहटे में॥   भउजी के कजरारी अँखियन क थिरकन ससरे लहर बनि सिहरे लागल तन मन विलमते रंगवो डलल सहते में । धसोर गइल—   सुध-बुध हेराइल मोजराइल अमवा एह घरी नीक लगे बदराइल घमवा ई देखS बुढ़वो रंगल रसते में। धसोर गइल—   हुलसे पवनवा गोटाइ गइल छिमिया पियराइल सरसो हरिया गइल निमिया सरम के चुनरिया उड़ल कसते में । धसोर गइल—   जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

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एगो मनसायन

[नमन भर से काम ना चली।पढ़ीं -जानीं -सोचीं सभे अपने पुरखन के बारे में] भोजपुरी कवि विचित्र जी ,मुँहदुब्बर जी आ मुखिया जी के इयाद करत ~~~~~~~~□□~~~~~~~~~~~~~ भोजपुरी के स्वनामधन्य कवि स्व.कुबेर मिश्र ‘विचित्र ‘ जी आ राघवशरण मिश्र ‘मुँहदुब्बर’ जी ओह बेरा भोजपुरी कवि- मंचन के जान-परान रहनीं।मुँहदुब्बर जी आ विचित्र जी ई दूनू जने जब एक मंच पर जुट जाईं तब फेर पूछहीं के का रहे! हमरा इयाद बा छपरा नगरपालिका मैदान में ‘तुलसी पर्व’ के आयोजन में हिन्दी के लब्धप्रतिष्ठ कवि आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री जी आ केदारनाथ…

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संगीत रागी जी के काव्य संग्रह ‘मुझे तुमसे कोई गिला नहीं’ के लोकार्पण सम्पन्न भइल

विश्व पुस्तक मेला – 2025 में 8 फरवरी के संगीत रागी जी के काव्य संग्रह ‘मुझे तुमसे कोई गिला नहीं’ के लोकार्पण सम्पन्न भइल ।  एह समारोह में संगीत रागी, अखिलेन्द्र मिश्रा, ओम निश्चल, चंद्र प्रकाश द्विवेदी ,केशव मोहन पाण्डेय , लक्ष्मी शंकर वाजपेई आ जयशंकर प्रसाद द्विवेदी सिरकत कइलें।

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जयशंकर प्रसाद द्विवेदी के पहिल हिन्दी काव्य संकलन ‘सूत्रधार कौन’ के विमोचन भइल

विश्व पुस्तक मेला -2025 के 6 वे दिन भोजपुरी के प्रतिष्ठित कवि आ भोजपुरी साहित्य सरिता के संपादक जयशंकर प्रसाद द्विवेदी के पहिल हिन्दी काव्य संकलन ‘सूत्रधार कौन’ के विमोचन ‘सर्वभाषा ट्रस्ट  के स्टाल पर सम्पन्न भइल। लोकरपन समारोह में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के प्रधान संपादक  डॉ  अमिता दुबे,  प्रखर आलोचक ओम निश्चल ,  प्रभात पाण्डेय, आस्था सहित अनेक विद्वान लोग सिरकत कइलें। सर्वभाषा ट्रस्ट के संजोजक केशव मोहन पाण्डेय जी एह ला सभाके प्रति आभार जतवलें।

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भोजपुरी कविता के राह में युवा कवि गुलरेज के ‘धाह’

भोजपुरी के युवा पीढ़ी के कविता में ताजगी त बड़ले बा बाकिर ओमें जवन उबाल आ आक्रोश के अभिव्यक्ति बा ओकरो में तल्खी ले जादे तथ्य आ समझदारी के प्रधानता बा।ई पीढ़ीअपना असंतोष,खीस आ नाराजगी के अपना संघर्ष,प्रतिरोध आ तर्कपूर्ण अभिव्यक्ति के जरिए मुखर करे के जानेले।गुलरेज शहजाद एह पीढ़ी के एगो महत्वपूर्ण हस्ताक्षर बाड़न। भोजपुरी कविता के दूनू रूप- प्रबंध आ मुक्तक काव्य में अपना प्रतिभा के लोहा मनवा देबेवाला कवि आज मौजूद बाड़ें।एह पीढ़ी में सुशांत कुमार शर्मा जइसन प्रबंध काव्य के रचयिता कवि अगर बाड़ें त अक्षय…

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