रउवा सभे के मालूम होखबे करी कि जिनगी के जतरा लइकई से गवें गवें आगु, बढ़त, जवानी के जीयत, अधेड़पन के संवारत बुढ़ापा के काटत एक दिन अंतिम जतरा पर निकल जाला। मनई के जिनगी में ढेर पल –छिन अइसन जरूर आवेला जवना के उ जोगा के राखलों चाहेला। भा ई कहल जाव के कुछ गुजरत पल मनई के स्मृति में आपन पक्का ठेहा बना लेवेलन सन। अइसने स्मृतियन के आधार पर कवनो विषय भा बेकती पर जवन कुछ लिखल जाला, ओकरा के संस्मरण भा स्मृति आलेख कहल जाला। भा…
Read MoreDay: June 22, 2024
अति का भला न बोलना —–
का जमाना आ गयो भाया,सभे बेगर आगा–पाछा सोच के भोंपू पर नरियाये में जरिको कोर-कसर नइखे उठा राखत। मने कतों, कबों, कुछो जबरिये फेंक रहल बा। एह ममिला में सावन से भादों दुब्बरो नइखे। सुननिहारन के कत्तई अहमके बूझ रहल बा लोग । एहनी के केहू बतावहूँ वाला नइखे कि- ‘ उ जमाना लद गइल जवना में गदहो पकौड़ी खात रहले सन। समय बदल रहल बा। सोच बदल रहल बा आ मनई उत्तर देवे क तरीको बदल रहल बाड़न। अब दोसरो लोगन के अपना काम-काज के तौर-तरीका बदले के पड़ी,…
Read Moreबगौरा तs बगौरे हs !!
ए हे बगौरा ! तहार गजबे बा कहानी केहू कहेला- बड़हन -बड़हन बाग रहे एजवा एही से नाम पड़ल- बाग बड़ा -‘ बगौरा’ बीच गाँव में बड़का एगो गढ़ गाँव के बहरी उत्तर से घूसे में बबुआ जी के कोठी दक्खिन आ पूरब के कोन बन्हले राम नारायन दास महंथ जी के मठिया पच्छिम आ दक्खिन में शिवाला के मंदिर पच्छिम आ उत्तर के भंडार कोन पर टिकुलिया स्थान के भोले बाबा। काली माई-चार जानी चार दिसा में एक जानी शिवाला मंदिर का लगे एक जानी पच्छिम टोला वाली एक…
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