हम गाँव क हईं गँवार सखी

हम गाँव क हईं गँवार सखी! हम ना सहरी हुँसियार सखी!
बस खटल करीला सातो दिन,
आवे न  कबो  अतवार  सखी! हम गाँव क हईं गँवार सखी!

लीची,अनार,अमरूद,आम,
सांझो बिहान खेती क काम,
घेंवडा़,लउकी,धनिया जानी,
ना जानीं हरसिंगार सखी!हम गाँव क हईं गँवार सखी!

इहवाँ जमीन बा बहुत ढेर,
असहीं उपजे जामुन आ बेर,
इ गमला में के फूल ना ह,
जे खोजे सवख सीगांर सखी! हम गाँव क हईं गँवार सखी!

गोबर-गोथार , चउका-बरतन,
अंगना,दुअरा सब करीं जतन,
दम लेवे भर के सांस न बा,
बानीं तबहूं बेकार सखी! हम गाँव क हईं गँवार सखी!

गोबर के चिपरी पाथीला,
हरिहर डाढ़ी ना काटीला,
पीपर तुलसी आ नीम संघे ,
मानेला सब तिउहार सखी! हम गाँव क हईं गँवार सखी !

कागा के हमी जगाईला,
मुरगा से बाग दिआईला,
गईया,बछरू ,कूकुर ,बिलार
ई सब हमरा परिवार सखी! हम गाँव क हईं गँवार सखी!

सूरूज मल जब जल पावेंलें,
तब दुनियां दुनियांं धावेलें,
हमहूं धाईं उनका पाछे ,
जबले ना भइल अन्हार सखी! हम गाँव क हईं गँवार सखी!

इहवाँ इसकूल ना अस्पताल,
फइलल माछी मच्छर के जाल,
बिजली पानी घर सौचालय,
हवे सपना के संसार सखी! हम गाँव क हईं गँवार सखी!

गउँओं में ‘नेटवा’ आइ गइल,
मनई से मनई दूर भइल,
सेल्फी क रोग लगल अइसन,
सब लोग भइल लाचार सखी! हम गाँव क हईं गँवार सखी!

ओल्हा पाती के ‘टेम’ गइल,
बा घर में बिडियो गेम धइल,
टीवी आ फोन  क  खेला में,
बचवा भ गइल बीमार सखी! हम गाँव क हईं गँवार सखी!

हम ना सहरी हुँसियार सखी! हम गाँव क हईं गँवार सखी!

————————निशा राय
लतवा मुरलीधर(टड़वा)
तमकुहीं
कुशीनगर,उत्तरप्रदेश

 

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