बुधिया

गाड़ी टेसन से अबही छूटल ना रहेल सवारी अपने मे अरूझायल हउए । केहू सूटकेस मे चेन लगावत ह,त केहू आपन बेग के सही करत ह,त केहू आपन सीट न. खोजत बा।तबही धच – घचक करत गाड़ी आगे बढै़ लगल । तब ले वहीं मे से केहू क अवाज सुनाईल ,इंजन लग गयील अब गाड़ी थोड़कीय बेर मे चली।चाय ले ला…..चाय।कुरकुरे दस रूपिया….दस। कहत चायवाला डिब्बा में घुसल। अबही गाड़ी अपने पुरे रफ्तार में आवै, बुधिया खिड़की के पास बैइठ गइल।बहरे पलेटफारम छोड़त आगे बढ़त गाड़ी क चाल समझै लगल मनही मन भुनभुनात बा कल साझी ले पहुच जाइब।

तबहिये ओकर बचवा बिस्कुट बदे जिद्दीया ये लागल।बुधिया ओके गोदी में लेकर पुचकारे लगल।बच्चा भी माई क गोदी पा के आंख मुदें लगल।तबहीयें गाडीं अचानक रूक गयील, अरे गाडी़ काहे के रूक गइल?बुधिआ भी अपने पति से पुछै लगल “हे जी कइसन गडि़या रुक गइल,,। इलाहाबाद आ गयील ह अब इहाँँ से सुपर फास्ट क इंजन लगी।अब गाडी़ अउर तेजी से चली अब अराम से बइठ जा।ई सुनके बुधिया सन्तोष क सांस लेहलै,फिन खिड़की से बहरे देखै लगल।

अबही कुछ ही देर भइल ,कि अरे इ का गाड़ी धचकचाकर एकाएक रुक गइल,डिब्बा मेंअफरा-तफरी मच गयील,अब का भयील गाड़ी काहे रूक गयील…….?सबहिं पूछै लगल बुधिया भी एहर-वहर ताकें लगल।इंंजन ब्लास्ट हो गयीले से बड़ी समस्या हो गईल।नया इंंजन रहल तबो ब्लास्ट हो गयल अब क उनो अउर ब्यवस्था करेके पडी़।टी.टी.साहबसबके समझावत आगे बढ़ गयीनै।

बुधिया अवाक रहि जाले,भुनभुना ये लगेले,फिरो इंजन बदलाई,हमरो जिनगी त टरेन क इंजन हो गयील ह,इहे सोचत-सोचत उ अपने अतीत के ओरी मुड गयील।

आज फिरो गिरत-परत पैन्ट फटल एक गोडे़ क चप्पल पहिन ले,जमीनी पर गिरल बड़बड़ात हमार शराबी बाप….।.कबले बड़का बाबू हमने क जिमेवारी ढ़ोइहै,बाबू के त पतै ना हवै कि लइको बच्चा ह उए।कुल जिमेवारी बडका बाबू ही देखै ,शादी -बियाह पढा़ई -लिखाइ।उ इहै चाहै कि इ कुल लइकन के कबहू तकलीफ ना होखे।

हमहु न जाने कउने नक्षत्र मे पैदा भयल रहनीं,कि,पहिली जगह बियाह तय भइल त बरक्षा के ही दिनै लइका क एकसीडेन्ट हो गयल जादा चोट ना आयील लेकिन घर वाले लइकी कुलक्षिनी कहि के रिस्ता तोड़ देनै।

दूसरी जगह रिस्ता तय भयील,बरक्षा हो गयल तारिख भी पड़ गयल 13जून क अभी सपना सजावत रहली कि बड़की माई स्वर्गवास हो गयील बड़की माई का गयीनी घरे क नींव हिल गयील बड़का बावू क हालत देखत ना बने।लेकिन उनके आगे हमने क जिम्मेदारी सूरसा की नियर मूँह बवले रहल,का करतैआखिर हिम्मत कैयके उठही के पड़ल।गांव-गिराव जेतनी लोग ओतनी बात।हमरो केहू के समने जाय क मन ना करे,एक बात मन मे आवै ..काहे के जियत ह ई मर काहे न जाती।लेकिन जवान लइकी मरी त लोग हमरे घर वालन के ताना मरि है,इहै सोच के मन मजबुत कयी लेहिं।हमरे बड़के बाबू के इज्जत क सवाल ह।इधर फिर बाबू रिस्ता खोजै मे जुट गयीनै वही तारिख पर करल चाहत रहनै संजोग रहल कि एक खाता -पीता परिवार मिल ही गयल बियाह वही तिथि के हो गयल।हम हँसी-खुशी लाल जोड़ा मेअपने ससूरे आ गयीली।कमरा मे बईठल इन्तजार करत रहली कि पति गांजा के नशा मे आँख लाल-लाल भयानक चेहरा.लेहले हमरे समने ! अब त रोज क किच-किच शुरू होखे लगल।नैहर से फोन.आवै हम खुश होवै क नाटक करि।यही बीच पता चलल कि हम पेट से हयी आपन माथा पकड़ली कि अब का होई।इधर हमार दशा.देख के देवर क खिचाव बढै़ लगल।हमहू अपने सपना मे ओनकर सपना.देखै लगली।कुछ दिन बदे नैहर आ गयीली यही बच्चा भी हो गयल,देवर क आना जाना जरूरत से ज्यादा हो गयील, अब दूनो जने एक होये क सोच लेहली.सबसे छुप-छुपा के हमने एक साथ रहे लगली। सब कुछ ठीक होत रहल हमरे खुशी क ठिकाना ना रहल हम ,हमार बच्चा अउर हमार शहजादा …..।

अबही वहि दिने बूधिया -बुधिया कहत रवि कमरा मे घुसल….हमार कपार चक्कर करत ह तबियत ठीक ना लगत ह बच्चा के लेके दूसरे कमरा मे सूतजा हमें अराम करे दा । ढाई बजे के करीब रबि क तबियत बिगडै लगल क उनो तरह रबि फोन कइके एगो मित्र के बोल वलै,सुतल बुधिया क माथा चूमके कमरा से निकल गयल ।रस्ते मे खून क उल्टी होये शुरू हो गयील वही के साथे रबि क.प्राण पखेरू हो गयल मित्र अवाक रहि गयल।बुधिया पर त पहाडै़ टूट पड़ल।अब का होई बुधिया के कुछ समझ मे ना आयल,मित्र से पता पा के ओकर गजेड़ी पति आ धमकल ….सुनत रहली कि तू रबिया के साथे रहत रहली ह,चल तू हमार मेहरारु हयी हमरे साथे चलै के पडी़ ।बुधिया ओकरे साथे जाये बदे बिबस बा।

तभी डिव्बा मे हल्ला होये लगल। बधिया के होस आयल की उ त डिब्बा मे ह ।उठल कुछ सोचत बेसिन तक आ के मुँह हाथ धोअलै मन ही मन आज फैसला कयीलै कि अब बहुत हो गयल अगला स्टेसन पर.अपने बच्चा के गोदी मे उठवल…आज से अपने जीनगी रूपी गाड़ी क इजंन हम खूद बनब…….।

 

  • डॉ रिचा सिंह

 

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