एगो रहन पुजारी जी. ऊ एगो सुग्गा पोसले रहन. रोज़ नियम से कथा-प्रवचन सुने जात रहन एगो महात्मा जी के कुटिया में. सुगवा रोज़ सोचे कि हमार मलिकवा रोज कहाँ जात बा भाई. एक दिन टोक देलस. पुछलस कि रोज़-रोज़ कहाँ जाइला रउआ नहा-धोआ के? पुजारी जी बतवलन कि एगो बहुते सिद्ध महात्मा जी बानी, उहाँ के जीव के मुक्ति के उपाय बताइला, हम उहाँ के प्रवचन सुने जाइला. सुगवा कहलस कि तनी हमरो बारे में पूछब ना कि हमरा एह बंदी जीवन से कब मुक्ति मिली? पुजारी जी कहलन…