बदरो मरसिया बांचत ह

संवत २०७३ अषाढ़ अन्हरिया पख के  रात क समय बा सगरो आसमान में बदरी घेरले ह तनिकों देखात नइखे , हवा सिहरा देत बा । हल्की झींसी पडै़ लगल ह , हवा चहूँ ओर सांय सांय करत बा । पुरा गोपालपुर गॉव नींद मे सुतल ह ,लेकिन हमरे आंखी मे नींद कहॉ ? अब पहिले जइसन गाव ना रहल । ई बात ना ह कि गॉव विकास ना भइल । परमुख बाबा राजनाथ के परयास से गॉव मे पिच रोड़ ,खरंजा, पा० स्कूल बा सोसाईटी क गोदाम बा पंचायत भवन हउवे , बिजली ह, कुल बाडै लेकिन गवुआँ गुलजार ना लगेला । जैसन लगत बा कि एकर आत्मा मर गइल ह । भायप भाव दरक गयल ह , उदयी भाई जिनगी भर खटलै लेकिन भाई के का कही भतीजन क नजर मोटाय गईल , मुरारी कक्का क सोने जैसन काया चिन्ता फिकिर मे संवरा गइल । पुरनकन के पीढी क रहन सहन ताव तेवर बिला गइल ह ।गॉव क नवहा संवाग कट्टा , अध्धा अउर पाउच मे मस्त हउए। ठकुराने क खेती भहरा गइल ह, मजुर धतुर अब मिलत ना हउए ।  उपर से ई सरकारी कहर ऱोजै डीजल पेट्रेाल क दाम सरकार बढ़ा देत बा ।जोताई मंहग हो गइल।  बरधा बछरू रखब अब सपना हो गईल ह । अउर त अउर इ समाचार सुनात ह की बम्बई से यूपी बिहार वाले भगावल जात हउए । सबितरा भौजी अउर सुखदेयी रताईन जार बेजार रोअत हई । ईनके रोअले बन क पतई झरत हउवे ।संझा बेरा के चाय सुडकत केशरी चच्चा के आंख भर आइल । ए बार जोन्हरी (मकई) क फसल अच्छी रहल ,लेकिन घड़रोज कुल खेत दहल देहनै सन । हाय ई मजबुरी , न सरकार नील गाय के पकडति ह ,न आपन संस्कार पशु हत्या करल चाहेला । गांव क बिरहा , कंहरवा मर गइल ह ।  कजरी क धुन हेराय गइल ह । लगत ह बादर, बरसत ना हउए सिसकत हउए , रोअत हउए। हर – बरधा , फरसा – कुदार वाला किसान धरती पुत्र ना हउए । आज गॉव जाति अउर पार्टी मे बटल हउए ।  रिस्ता नाता सब बिखर गइल ह । गॉव के मौत पर अषाढ़ क इ बादर बरसत ना ह बल्कि मरसिया बॉचत ह।

 

– डॉ० ऋचा सिंह

एसोसिएट प्रो० हरिश्चन्द्र पी० जी० कॉलेज ,

वाराणसी

 

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