बसमतिया

बसमतिया के उपर बडा कठिन समय बा हस्पताले चहुपे के ।सॉय सॉय करत अन्हरीया बा । कोरा मे बोखार से तपत ओकर साल भर क् बेटवा। फटहीा लुगरी मे लपेटले अपने दुधमुहा दुलरूवॉ के करेजा से चिपटवले बसमतिया अपने भतारे के पीछे पीछे भागत चलत जात बदहवासल एक गो मतारी “का जाने भगवान हमसे काहे के नराज हउए?…..हमरे पुजा भगती मे कौन कसर रहि गयल का जाने गोलूआ के बाबू से कउनो अनहित ना न भईल जवने से देवी देवता नराज हउए गोलुआ क् शरीर तवा जैसन जरत बा.. दोहाइ डीह बाबा क् तनि दया करी। गोलुआ के ठीक होत् य पॉच बाभन क् मुँह जुठ कराई ब्।हमरे लईका के कु छ ना होखे के चाहीं अगर ये के कुछ भइल त हम आपन जान दे दे ब।….। खेळावन साईकिल सरपट भगावत ह तबले इ का अरे सइकिली क चेन अबहीयै टूटै के रहल ह।आजै यहीउ के धोखा दे वैते रहल ह्।खेलावन मन ही मन खीझ गइल ,अबही कोस भर चलले पर शहर आयी बडे नोहरे क बेटवा बा किसमतिया अउर खेलवना क करेजा बा गोलूआ ।आज आधी रात से बोखार से तड़पत बा अॉख उलट गइल अरे गोलूआ क बाबू तनी ज ल्दी करा हम कहत हइ एके कुछ हो गइल बा। अन्हरिया रात में दोनों परानी भागत जात हउए अरे गोलू क महतारी डेरा मत हम हई,खेलावन के दिलासा से बसमतिया के जान मे जान आईल। हे भगवान हस्पताल जल्दी आ जाय।डाग्डर बाबू जल्दी मिल जाइह….तोहके परसाद चढाई ब ।तबै एगो चिरई चिचियाए लगल टिटिहरी क चाची ससुर….खेलावन के मुँह से निकलल।अब नहर क छोर निगचा गईल ह वही के बाद सड़क मिल जाइ।बस अब चहुप ल हई।फिकर मत तरा कउनौ रस्ता जरूर मिली गोलू ठीक हो जाई।एतनी बात सुनतै बसमतिया केआंख से आंस झरै लगल ।हा सही कहत हउआ।आधी रात अउर सरकारी अस्पताल इहॉ डाक्टर दिन मे त डयूटी पर अइबै ना करतै अउर इ त रात बा।अस्पताल मे ताला बन्द देखते दोनो परानी क जी बइठ गयल तबही चौकीदार के देखते मन मे आस बनल चौकीदार के लेके डाक्टर क दरवाजा खट खटवल बहुत देरी के बाद एगो मनइ निकलल अउर घुड़की बोले लगल”का हे बे ” डाग्डर साहब से मेिलै के ह़, हमार बचवा बहुत बीमार ह देह बहुत गरम हउ ए रहि रहि के बेहोस हो जात। डाक्टर साहब जिला पर गयल हउए कल सबेरे आया इ कहिके दरवाजा बन्द करै लागल कम्पोटर साहब तनिक हमार बात सुना खेलावन गिडगिडायै लागल ।किसमितया उ अनजान अदमी के आगे गिर गइल साहेब दया करा़….एतनी रात के हम कहॉ जाइब रउआ हमरे बचवा के बचा ला। ओकरे पर तरस खा के उ मनई बगल के एक प्राइवेट डाक्टर जितइ लाल क पता दिहलै ,उहा लोगन चल जा देखा कुछ हो सकेला दोनो परानी आनन फानन मे जितइ के दवाखाने पर चहूप गइलै घन्टी बजाते ही जितइ लाल निकलनै देख दाख के ५००₹पर ममला तय कईलै बोखारे क् मामूली दवाई देके कउनो एक ठे सूई लगउलै ।अउर कहन कि हम गारन्टी ना ले सकिला उपर वाले से प्राथना कराकिहमरे दवाई से इ ठीक हो जाय इ कहिके नीम हकीम बिलखत बसमतिया और खेलावन के अबोध बच्चा के डेगू जइसन जानलेवा बिमारी मे मामूली दवाई देके भेज देहलै।पति पत्नी के काठ मार गयल ।अब अपने गॉव के ओर बढनै वैसहुअ उनकर ये शहर के ह उनकर आपन।.

 

– डॉ० ऋचा सिंह

( एसोसिएट प्रो०, हरिश्चंद्र पी जी कॉलेज ,वाराणसी )

 

Related posts

Leave a Comment