पियवा के सुधिया सतावे भरि रतिया
साँवर गोरिया रे।
तलफत सेजरिया पर जाय।
सेही सेजरिया सपनवाँ ना भावे
साँवर गोरिया रे।
सोचि सोचि बतिया लोराय।
कवने कारन पिया छोड़लें बेगनवाँ
साँवर गोरिया रे।
क़िसमत के कोसी पछताय।
जेपी के कहना बा ठाना ठनगनवाँ
साँवर गोरिया रे।
आपन पियवा लेहु न बोलाय।
- जयशंकर प्रसाद द्विवेदी