गाँव घरे क बात करीं जनि,
रिस्ता-रिस्ता घाहिल बा।
सब कुछ जीरो माइल बा॥
पुस्तैनी पेसा ना भावत
कहाँ गवैया नीमन गावत
गीतकार क बात करीं जनि,
इहाँ जमाते जाहिल बा।
सब कुछ जीरो माइल बा॥
छोड़ि के आपन घर-गिरहस्ती
बहरे हेरत फिरत हौ मस्ती
मेहनत के बात करीं जनि,
असकत सिरे समाइल बा।
सब कुछ जीरो माइल बा॥
ईमानदार से डर लागै
मोलाजिम करतब से भागै
घुसख़ोरी क बात करीं जनि
उहाँ भिरी देखाइल बा।
सब कुछ जीरो माइल बा॥
जहाँ बेबस मरीज कटत हौ
डागदरन में माल बटत हौ
अस्पताल क बात करीं जनि,
मुवल मसीन धराइल बा।
सब कुछ जीरो माइल बा॥
- जयशंकर प्रसाद द्विवेदी