गजल

बात जब बेबात के तब बात का?

कटल जड़ तऽ भला बांची पात का?

 

ऊ मोटाइल बा रहस्ये ई अभी,

का पता ऊ रहे छिपके खात का?

 

छली कपटी जब होई दुश्मन होई,

मीत ऊ कइसे होई? हित-नात का?

 

कथ्थ आ करनी में जेकरा भेद बा,

ठीक केवन वंश के भा जात का?

 

झूठ के महिमा रही दुइये घरी,

एह से बेसी हो सकी औकात का?

 

  • अशोक कुमार तिवारी

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