बात जब बेबात के तब बात का?
कटल जड़ तऽ भला बांची पात का?
ऊ मोटाइल बा रहस्ये ई अभी,
का पता ऊ रहे छिपके खात का?
छली कपटी जब होई दुश्मन होई,
मीत ऊ कइसे होई? हित-नात का?
कथ्थ आ करनी में जेकरा भेद बा,
ठीक केवन वंश के भा जात का?
झूठ के महिमा रही दुइये घरी,
एह से बेसी हो सकी औकात का?
- अशोक कुमार तिवारी